दिल्ली एडमिशन : हाईकोर्ट ने जारी किया HRD को नोटिस

Edited By ,Updated: 20 Jan, 2017 12:56 PM

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नर्सरी एडमिशन को लेकर  चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया  है । हाई कोर्ट ने अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री और एचआरडी को नोटिस जारी कर देश भर ...

नई दिल्ली : नर्सरी एडमिशन को लेकर  चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया  है । हाई कोर्ट ने अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री और एचआरडी को नोटिस जारी कर देश भर के नर्सरी ऐडमिशन पॉलिसी पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट ने उनसे जवाब मांगा है की डीडीए ने प्राइवेट स्कूलों को किस आधार पर ज़मीन थी, और किन किन शर्तों का पालन करना ज़रूरी है। हाईकोर्ट ने इस बात को लेकर सवाल उठाये है। उधर प्राइवेट स्कूलों का मानना है की उनके और अभिभावकों के अधिकारों का हनन हो रहा है। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस बात को साफ करे कि क्या लैंड अलॉटमेंट पॉलिसी में नेबरहुड पॉलिसी की जानकारी है या नहीं। अदालत ने अल्पसंख्यक स्कूल मामले में दिल्ली सरकार की खिंचाई की है।

गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस मनमोहन की बेंच के सामने मामले की सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूलों की ओर से पेश वकील ने नेबरहुड पॉलिसी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वसंत विहार इलाके में ज्यादातर बड़े अच्छे स्कूल हैं तब नेबरहुड में कितने बच्चों को दाखिला मिलेगा। हर पैरंट्स को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि उसका बच्चा कहां पढ़े। दिल्ली की जो जनसंख्या है उसके हिसाब से ये नीति सही नहीं है। इससे मूल अधिकार का हनन होता है।

दो साल पहले एलजी की ओर से ऐसे ही नोटिफिकेशन जारी कर अधिकार का गलत प्रयोग किया गया तब हाई कोर्ट ने फैसले को गलत बताया। डीडीए से जब जमीन दी गई थी तब कहा गया था कि आर्थिक तौर पर कमजोर तबके के लिए रिजर्वेशन होगा, लेकिन अब नेबरहुड नीति लागू कर दी गई है। मामले की सुनवाई जारी है और अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी। मामले में गुरुवार सुबह इस मामले को डबल बेंच के सामने उठाया गया तब डबल बेंच ने मामले में सुनवाई से इनकार किया और कहा कि सिंगल बेंच ही मामले की सुनवाई करेगी, जिसके बाद मामले की सुनवाई सिंगल बेंच में हुई। दिल्ली सरकार के नेबरहुड पॉलिसी को प्राइवेट स्कूलों व कुछ पैरंट्स ने चुनौती दे रखी है।

अल्पसंख्यक स्कूल के मामले में सरकार को फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा अल्पसंख्यक स्कूलों के लिए तय गाइडलाइंस पर सरकार की खिंचाई की है। अदालत ने कहा कि आखिरी समय में बिना ऐक्ट देखे कैसे नोटिफिकेशन जारी किया गया है। अदालत ने संकेत दिया कि वह सरकार के उक्त फैसले पर रोक के फेवर में है।

अल्पसंख्यक स्कूलों की ओर से दाखिल याचिका पर एलजी की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि सरकार का निर्देश सही है। अदालत ने पूछा कि क्या आपने 2007 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को देखा है अदालत ने कहा था कि बिना ऐक्ट में बदलाव के अल्पसंख्यक स्कूलों पर कोई फैसला थोप नहीं सकते। आपने बिना ऐक्ट में बदलाव किए कैसे अल्पसंख्यक स्कूलों पर भी अन्य स्कूलों की तरह गाइडलाइंस तय करते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि नोटिफिकेशन जारी हो गया जो सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट की भावना के खिलाफ है। अदालत ने कहा कि आखिर दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने के समय नोटिफिकेशन क्यों जारी की गई। इस तरह की मनमर्जी चलेगी? क्या आप समझते हैं कि कोई चुनौती नहीं देगा? जिसे परेशानी होगी वह अदालत आएगा ही।
 

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