एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग में है करियर का नया विकल्प

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Oct, 2017 12:50 PM

airfare maintenance engineering is a new alternative to career

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग एविएशन सेक्टर से संबंधित...

नई दिल्ली : एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग एविएशन सेक्टर से संबंधित एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसे मेंटेनेंस ब्रांच में शामिल किया गया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें प्रोफेशनल्स को पद व पैसा दोनों मिल रहा है। इसमें कमर्शियल एवं मिलिट्री एयरक्राफ्ट, स्पेस क्राफ्ट, सेटेलाइट एवं मिसाइल आदि की डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, डेवलपमेंट, टेस्टिंग, ऑपरेशन एवं मेन्टेनेन्स आदि के बारे में विशेषज्ञता हासिल की जाती है। एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर का सीधा संबंध एविएशन डिवीजन से होता है। एयरक्राफ्ट के सफलतापूर्वक टेक ऑफ की जिम्मेदारी भी इन्हीं के जिम्मे होती है। ये इंजीनियर पूरी तरह से सुरक्षा पर फोकस करते हैं, ताकि एयरक्राफ्ट को बिना किसी अवरोध के उड़ाया जा सके। मौजूदा समय में करीब पांच लाख पैसेंजर और कार्गो एयरक्राफ्ट के अलावा व्यापार व निजी कामों के लिए 40 लाख छोटे प्राइवेट विमानों का इस्तेमाल विश्व भर में हो रहा है।

क्या कहती है इंडस्ट्री रिपोर्ट
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक घोषणा के अनुसार इस समय भारतीय एविएशन इंडस्ट्री विश्व की नौवीं सबसे बड़ी एविएशन इंडस्ट्री है तथा 2020 तक इसके तीसरे सबसे बड़े एविएशन मार्केट के रूप में बनने की उम्मीद है। इसी तरह से 2030 तक पहुंचते-पहुंचते इसके पहले स्थान पर काबिज होने का अनुमान है। फिक्की-केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार एविएशन इंडस्ट्री में वर्ष 2017 तक देश में रोजगार में दोगुनी वृद्धि होगी और यह बढ़ कर 1.17 लाख के करीब पहुंच जाएगा। आने वाले समय में इसमें एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर पदों के लिए भारी संख्या में प्रोफेशनल्स की आवश्यकता पड़ेगी।

योग्यता
बारहवीं में साइंस स्ट्रीम (फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित के साथ) से पढ़ाई करने के बाद अभ्यर्थी इसके एंट्रेंस एग्जाम में बैठ सकते हैं। चार साल के ऐरोस्पेस इंजीनियर कोर्स में दाखिले के बाद अभ्यर्थी इस क्षेत्र में नौकरी पा सकते हैं। एंट्री लेवल की जॉब पाने के लिए बैचलर इंजीनियरिंग (बीई) डिग्री से ही काम चलाया जा सकता है, जबकि बड़े पदों पर पहुंचने के लिए मास्टर या डॉक्टरेट डिग्री करना अनिवार्य है।

एएमई कोर्स में दाखिला पाने के लिए योग्यता
12वीं में फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित का कुल एग्रीगेट 50 प्रतिशत होना जरूरी है। किसी भी इंजनियरिंग विभाग से 3 साल का डिप्लोमा किया हो। फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित के साथ 12वीं के बाद बी.एसएसी में स्नातक किया हो।एयरक्राफ्ट के क्षेत्र में किसी भी पद पर नौकरी करने के लिए सिविल एविएशन के डायरेक्टर जनरल (डीजीसीए) से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है।

सैलरी 
इसमें ज्यादातर सैलरी पैकेज एकेडमी करियर एवं काम के बारे में जानकारी पर निर्भर करता है। शुरू शुरू में इसमें प्रोफेशनल्स को करीब तीन से चार लाख रुपए सालाना का पैकेज मिलता है। अनुभव बढ़ने के साथ सैलरी भी बढ़ती जाती है। प्राइवेट सेक्टर में सैलरी अधिक मिलती है। सुविधाओं के मामले में सरकारी क्षेत्र आगे है।

फीस
इसमें फीस की राशि संस्थान पर निर्भर करती है। अमूमन तीन साल के कोर्स में कुल छह सेमेस्टर होते हैं। इनकी फीस करीब दो से ढाई लाख रुपए होती है। इसके अलावा हॉस्टल, यूनिफार्म, खाने, टूल-किट व अन्य खर्चे भी शामिल हैं। छात्र किस्तों में भी फीस दे सकते हैं।

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग लाइसेंस
भारत में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग के पेशे में आने के लिए डीजीसीए से लाइसेंस प्राप्त करना बहुत जरूरी है। इस दिशा में ऐरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी एसोसिएट मेंबरशिप एग्जाम सर्टिफिकेशन में हाजिर होना पड़ता है। सफलतापूर्वक एग्जाम पास करने के बाद अभ्यार्थी डीजीसीए द्वारा प्रमाणित किसी भी संस्थान में दाखिला ले सकते हैं। यह सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हीं संस्थानों में सबसे प्रमुख मेंबरशिप एग्जाम के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इंटर्नल एग्जाम सेक्शन ए और बी में पास होने के बाद डीजीसीए आपको एएमई लाइसेंस जारी कर देगा। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आयु सीमा 23 वर्ष निर्धारित की गई है, लेकिन इंजीनियरिंग और साइंस में ग्रेजुएट को कुछ छूट मिल सकती है

भारत के प्रमुख एएमई कॉलेज
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग, दिल्ली
राजीव गांधी एविएशन एकेडमी, बोवेनपल्ली, सिकंदराबाद
बेंगलुरू हिंदुस्तान एविएशन एकेडमी, चिन्नापनाहल्ली, बेंगलुरू
सेंटर ऑफ सिविल एविएशन ट्रेनिंग, दिल्ली
 

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