एजुकेश पॉलिसी में होगें अहम बदलाव

Edited By ,Updated: 26 Oct, 2016 12:15 PM

education will be a significant shift in policy

सरकार की नो डिटेंशन पॉलिसी पर शिक्षा पर सबसे बड़ी सलाहकार समिति केब (सेंट्रल एडवाइज़री बोर्ड ऑफ एजुकेशन) ने सरकार से सिफारिश

नई दिल्‍ली: सरकार की नो डिटेंशन पॉलिसी पर शिक्षा पर सबसे बड़ी सलाहकार समिति केब (सेंट्रल एडवाइज़री बोर्ड ऑफ एजुकेशन) ने सरकार से सिफारिश की है कि फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया जाए कि पांचवीं कक्षा से वह इस नीति का पालन करना चाहते हैं या नहीं।  हालांकि चौथी कक्षा तक यह नीति अनिवार्य बनी रहेगी। 

नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत राज्य 8वीं कक्षा तक किसी छात्र की परीक्षा नहीं ले सकते।इससे कई राज्यों में नाराज़गी है, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि छात्र पढ़ाई नहीं करते। लिहाजा, 9वीं कक्षा से उन्हें परीक्षा में पास होना मुश्किल होता है। नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार कानून का हिस्सा है और इसे बदलने के लिए कानून में परिवर्तन करना होगा। संभावना है कि संसद के शीतकालीन सत्र में ही सरकार यह संशोधन लेकर आएगी।

केब ने सरकार से सिफारिश की है कि आरटीई एक्ट में बदलाव कर ये राज्यों पर छोड़ दिया जाए कि वह इस नीति को लागू रखें या हटाएं, लेकिन चौथी तक कोई राज्य बच्चों की परीक्षा नहीं ले पाएगा, यानि नो डिटेंशन पर पांचवीं के बाद ही राज्य कोई फैसला कर सकते हैं।

केब की बैठक में राज्यों ने ये भी कहा कि कोई नीति होने की वजह से ये पता नहीं चल पा रहा है कि छात्र क्या सीख पा रहे हैं। अब कानून में लर्निंग आउटकम के नाम पर ये भी व्याख्या की जाएगी कि किस कक्षा के बच्चे को कम से कम कितनी जानकारी होनी चाहिए।


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