फिशरी साइंस में बनाएं करियर , मिलेंगे कमाई के बेहतर मौके

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 01:50 PM

make career in fishery science  get better opportunities for earning

मछली पालन में करियर कहने को तो यह बड़ा ही साधारण लगता है लेकिन आज के दौर में यह एक तेजी से उभरता हुआ कॅरिअर...

नई दिल्ली : मछली पालन में करियर कहने को तो यह बड़ा ही साधारण लगता है लेकिन आज के दौर में यह एक तेजी से उभरता हुआ कॅरिअर बन चुका है। अब इस क्षेत्र में प्रशिक्षित युवा अच्छी कमाई कर रहे हैं। अगर आप मछली पालन या फिशरी साइंस के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो यह शानदार ऑप्शन है। इसके लिए डिप्लोमा से लेकर बैचलर और पीजी लेवल पर कई प्रकार के कोर्स उपलब्ध हैं। फिशरी साइंस का क्षेत्र काफी बड़ा है। इसमें तमाम विषय पढ़ाए जाते हैं जो रोजगार दिलाने में मददगार होते हैं। पिछले एक दशक में मछली पालन क्षेत्र में बड़ी तेजी से बदलाव आया है। पहले लोग केवल अपने शौक के लिए या खान-पान के लिए ही मछली पालन करते थे। लेकिन अब भारतीय तथा मल्टीनेशनल कंपनियां भारी इंवेस्टमेंट के साथ इस क्षेत्र में उतर रही हैं। गल्फ तथा अफरीकन देशों में इससे संबंधित प्रोफेशनलों की भारी मांग है। 

कोर्स और योग्यता
यदि आप इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो बैचलर ऑफ साइंस इन फिशरीज (बीएफएससी) कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। इसके साथ ही फिशरीज से संबंधित कुछ जॉब ओरिएटेड शॉर्ट-टर्म कोर्सेज भी हैं, जिन्हें करने के बाद जल्द ही नौकरी मिल जाती है। फिशरीज कोर्सेज में प्रवेश के लिए बायोलॉजी विषय में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 अनिवार्य है। इसके लिए डिप्लोमा से लेकर बैचलर और पीजी लेवल पर कई प्रकार के कोर्स उपलब्ध हैं। फिशरी साइंस का क्षेत्र काफी बड़़ा है। इसमें तमाम विषय ऐसे पढ़ाए जाते हैं जो रोजगार दिलाने में मददगार होते हैं। इसके तहत मछली पकडऩे से लेकर उनकी प्रोसेसिंग और सेलिंग तक की जानकारी दी जाती है। इसमें मछलियों का जीवन, इकोलॉजी, उनकी ब्रीडिंग और दूसरे तमाम विषय भी शामिल हैं। स्टूडेंट्स हर प्रकार के पानी और हर प्रकार की मछलियों के बारे में बताया जाता है। यूं कहें कि उन्हें इस मामले में एक्सपर्ट बनाया जाता है। कोर्स और ट्रेनिंग ज्यादातर लोग मोटे तौर पर बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस (बीएफएस) के बारे में ही जानते हैं।

कोर्सेज 
एडवांस्ड डिप्लोमा इन फिशिंग गियर टेक्नोलॉजी, बैचलर ऑफ साइंस इन इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज, एम. एससी इंडस्ट्रीयल फिशरीज, मास्टर ऑफ फिशरी साइंस, फिशिंग वेसल इंजीनियरिंग और बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस (नॉटिकल साइंस) वगैरह।

बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस आज भी मुख्य कोर्स के रूप में है। इसके तहत स्टूडेंट्स को एक्वाकल्चर, मेरिकल्चर, फिश प्रोसेसिंग, स्टोरेज टेक्नोलॉजी, उनकी बीमारियों का उपचार और इकॉलजी आदि विविध विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है। फिशरी ग्रेजुएट मछली पालने से जुडे विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर लेते हैं। प्रैक्टिकल ट्रेनिंग इस पढाई का अहम हिस्सा है। स्टूडेंट्स को ज्यादा से ज्यादा एक्सपोजर दिया जाता है। मछली से संबंधित आंकडे इकठ्ठा करना भी इस पढ़ाई में शामिल है। बैचलर ऑफ फिशरी साइंस चार साल का कोर्स है। इस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए रकम से कम बायॉलजी के साथ 12 वीं पास होना जरूरी होता है। इसी विषय में मास्टर डिग्री कोर्स दो वर्ष का है।

प्रमुख विषय फिशरी पथॉलजी ( माइक्रोबायॉलजी ) में मछलियों का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन किया जाता है और उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जाती है। फिश प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी के तहत मछलियों के संरक्षण के विभिन्न तरीकों और उपायों और मछलियों से बनने वाले उत्पाद के विषय में सिखाया जाता है। अक्वॉटिक्स इन्वाइरनमेंट साइंस में विभिन्न जलीय जीवों के शारीरिक बारीकियों को समझाया जाता है। मछली पकडऩा और इससे जुड़े उपकरणों का रखरखाव भी इस पढ़ाई का अहम अंग है। इसकी पढ़ाई फिशरी इंजिनियरिंग विषय के तहत होती है। इसमें उपकरण निर्माण के बारे में भी बताया जाता है। और, सबसे अंत में स्थान में नंबर आता है इस फील्ड के सबसे अहम विषय फिशरी इकनॉमिक्स और मार्केटिंग का। इसमें प्रोडक्शन,सप्लाई और मार्केटिंग से जुडे हर पहलू को सिखाया जाता है। फिशरीज विशेषज्ञ जलीय गुणवत्ता के अनुरूप मछली की प्रजाति का पालन, उन्नत किस्म की मछलियों का विकास, फिशरीज फार्म की बेहतर देखभाल तथा फिश रिसर्च से जुड़े काम करते हैं। यह मछलियों को सुरक्षित रखने, समुद्र-तल की गहराइयों तथा संबंधित पारिस्थितिकी पर बारीकी से ध्यान देते हैं। इसके अतिरिक्त घरेलू बाजार और अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग को देखते हुए उत्पादन एवं संवर्द्धन और इससे जुड़े रिसर्च तथा सुरक्षित भंडारण पर भी खास ध्यान केंद्रित करते हैं।

पद
फिशरीज से संबंधित कोर्स करने के बाद असिस्टेंट फिशरीज डेवलपमेंट ऑफिसर, डिस्ट्रिक्ट फिशरीज डेवलपमेंट ऑफिसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, रिसर्च असिस्टेंट, टेक्निशियन तथा बायोकेमिस्ट आदि पदों पर काम किया जा सकता है।

कमाई
यदि आप फिशरीज से ग्रैजुएट कोर्स करते है, तो आपकी शुरुआती सैलरी 10-15 हजार रुपए प्रतिमाह हो सकती है। इस क्षेत्र में रिसर्चर पद पर नियुक्ति अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगी परिक्षा के माध्यम से की जाती है। जिनका वेतन जूनियर लेक्चरर के बराबर होता है।

संभावनाएं
भारत के लगभग 8 मिलियन लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र पर निर्भर हैं। भारत मछली निर्यात के क्षेत्र में सातवां स्थान रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में फिशरीज उद्योग 16 प्रतिशत की दर से बढऩे की संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित युवाओं की पहले से ज्यादा आवश्यकता है। फिशरीज एक्सपर्ट शिक्षण-प्रशिक्षण, प्रेसेसिंग एंड प्रोडक्शन, प्रिजर्वेशन, मेरिनकल्चर, फिश फॉर्म से संबंधित कारपोरेट सेक्टर, नाबार्ड, रिसर्च सेक्टर में कार्य कर सकते हैं। यदि आप स्वरोजगार करना चाहते हैं, तो सरकारी एवं गैर सरकारी बैंकों से लोन आसानी से प्राप्त हो जाएगा।

कहां से लें शिक्षा
नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, पश्चिम बंगाल
कॉलेज ऑफ फिशरीज, धोली, बिहार
जी.बी. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर एंड टेक्नोलॉजी पंतनगर, उत्तराखंड
राजस्थान एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी, बीकानेर, राजस्थान
पंजाब एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन मुंबई, महाराष्ट्र
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नोलॉजी, कोच्चि, केरल
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवॉटर एक्वाकल्चर, भुवनेश्वर, उड़ीसा
असम एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी, असम

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