त्यौहारों के दिन शुरू होते ही शुरू हो जाती है मिलावटी मिठाइयों की बिक्री

Edited By ,Updated: 05 Oct, 2015 01:11 AM

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जैसे ही दीवाली सहित अन्य त्यौहारों का सीजन शुरू होता है तो उसके साथ ही विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का सीजन...

गुरदासपुर(विनोद): जैसे ही दीवाली सहित अन्य त्यौहारों का सीजन शुरू होता है तो उसके साथ ही विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का सीजन भी शुरू हो जाता है। 

हलवाई इस सीजन का सारा साल इंतजार करते हैं परंतु मिठाई खाने वाले व्यक्ति को इस बात का अंदाजा नहीं होता कि जिस मिठाई के लिए उसके मुंह में पानी आ रहा है वह मिठाई जहर का दूसरा रूप है, क्योंकि जितनी भी दीवाली के सीजन में मिठाई तैयार की जाती है वह अधिकतर मिलावटी दूध व खोए से तैयार होती है। यदि दीवाली व अन्य त्यौहारों के दिनों में मिठाई आदि के सैंपल भर कर स्वास्थ्य विभाग जांच के लिए भेजे तो निश्चित रूप में 20 से 30 प्रतिशत तक मिठाई सैंपल फेल पाए जाएंगे। 
 
मिठाइयों को आकर्षक बनाने के लिए अधिकतर मिठाइयों में रंग का प्रयोग किया जाता है। हलवाई की दुकान पर बिकने वाला कराची हल्वा, रसगुल्ला, चीनी की पान चड़ी रंगदार सौंफ, कई तरह की बर्फी, चॉकलेट सहित अन्य कई मिठाइयां रंग डाल कर बनाई जाती हैं, परंतु यदि इस संबंधी सच्चाई को देखा जाए तो मिठाइयों में प्रयोग किया जाने वाला रंग मानव शरीर के कुछ विशेष अंगों को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है।                      
 
क्या कहते हैं जिला स्वास्थ्य अधिकारी:  इस संबंधी जब जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. बी.एस. बाजवा से बात की गई तो उनका कहना था कि पहले के मुकाबले अब विभाग ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि दीवाली के दिनों में मिठाइयों में मिलावट का जोर हो जाता है क्योंकि मांग कई गुणा बढ़ जाती है।
 
इस बढ़ी मांग का लाभ उठा कर मिठाई का कारोबार करने वाले व्यापारी अपनी आय को बढ़ाने सहित मांग को पूरी करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। डा. बाजवा के अनुसार पंजाब भर में मिलावटी दूध की बिक्री पर रोक लगाने के लिए पंजाब सरकार ने साल 2002 में एक एक्ट बनाया था, जिसके अधीन सभी दूध विक्रेताओं के लिए सेहत विभाग के पास पंजीकरण करवाना जरूरी था।
 
इस एक्ट के अधीन दूध बेचने वाला चाहे दुकानदार हो या रेहड़ी वाला, चाहे साइकिल पर जाकर घरों में दूध सप्लाई करने वाला हो या मोटरसाइकिल पर जाकर दुकानों पर दूध बेचने वाला, उसे सेहत विभाग के पास पंजीकरण करवाना जरूरी था, परंतु इस आदेश के अधीन आज तक जिला गुरदासपुर में एक भी पंजीकरण नहीं हुआ, जिसके कारण सेहत विभाग इन दूध बेचने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सका। दूध बेचने वालों के जब सैंपल भरे जाते थे तो वे अपना नाम-पता गलत लिखवा देते थे।
 
उन्होंने बताया कि नया फूड सेफ्टी एक्ट 2006 पंजाब सरकार ने तैयार किया है जिसका पंजाब में 4 अगस्त, 2011 को नोटीफिकेशन जारी कर लागू किया गया। इस एक्ट में कई तरह के प्रावधान दर्ज किए गए हैं। नए एक्ट के अधीन अब उम्रकैद तक की सजा व लाखों रुपए जुर्माना का प्रावधान है, जबकि पहले एक्ट के अनुसार 3 माह की सजा तथा 10 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता था।      
 
क्या कहते हैं उपभोक्ता: दीवाली के सीजन सहित आम दिनों में मिलावटी मिठाइयां बिकने संबंधी रोटरी क्लब के पूर्व प्रधान नवनीत दुग्गल, संदीप महाजन, जे.एस. रियाड़, अश्विनी बब्बर, जनक राज सारंगल आदि ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मिलावटी चीजों की बिक्री पूरे देश भर में जोरों पर है। मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारण लोगों में कई तरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं। 
 
मिलावटखोरी पर काबूृ पाने के लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक सजा का प्रावधान हो। मिलावट के केसों में सख्त सजा के बिना इस पर नियंत्रण पाना किसी भी तरह से सम्भव नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह मिलावट के लिए दोषी लोगों के लिए ऐसा कानून बनाए जैसे आतंकवाद पर काबू पाने के लिए बनाए जाते हैं।

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