सीरिया जेल में चल रहा मौत का खेल,13,000 कैदियों का गुपचुप हुआ ये हाल !

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2017 01:11 PM

13 000 secretly hanged in syrian jail says amnesty

सीरियाई राष्ट्रपति बशर-अल असद के करीब 13,000 विरोधियों को उस सरकारी जेल में गुपचुप तरीके से फांसी लगा दी गई...

लंदनः सीरियाई राष्ट्रपति बशर-अल असद के करीब 13,000 विरोधियों को उस सरकारी जेल में गुपचुप तरीके से फांसी लगा दी गई जहां हर हफ्ते 50 लोगों को सामूहिक तौर पर मौत की सजा दी जाती है। मंगलवार को एमनेस्टी इंटरनैशनल ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया जो काफी हैरान कर देने वाला है। 
 सुरक्षाकर्मियों, बंदियों और न्यायाधीशों सहित 84 प्रत्यक्षदर्शियों के साक्षात्कार पर आधारित 48 पृष्ठों वाली रिपोर्ट ‘ह्यूमन स्लॉटरहाउस: मास हैंगिंग एंड एक्सटरमिनेशन एट सैदनाया प्रीजन (मानव कसाईखाना, सामूहिक फांसी और सैदनाया जेल में तबाही)’ के अनुसार, 2011 और 2015 के बीच दमिश्क के पास सैदनाया मिलिटरी जेल में सामूहिक फांसी की सजा दी गई और अभी भी वहां मौत का  खेल जारी है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां जेल में वकील और ट्रायल के बगैर केवल यातना देकर अपराध कबूल कराया जाता है और अपराधियों को फांसी की सजा दे दी जाती है। 
आमतौर पर हफ्ते में दो दिन- सोमवार और बुधवार को जिनके नाम पुकारे जाते थे उन्हें कहा जाता था कि उन्हें दूसरी जगह भेजा जा रहा है। इसके बाद उन्हें जेल के बेसमेंट में ले जाकर दो तीन घंटे तक बुरी तरह से पीटा जाता था।  फिर कैदियों को जेल के दूसरी बिल्डिंग (व्हाइट बिल्डिंग) में भेज दिया जाता था। जहां बेसमेंट में उन्हें हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया जाता । पूरी प्रक्रिया में उनकी आंखों पर पट्टी बंधी होती थी। फांसी पर लटकाने के मात्र एक मिनट पहले उन्हें बताया जाता था कि उन्हें फांसी की सजा दी जाएगी। फांसी के बाद शवों को गोपनीय तरीके से दफना दिया जाता था।

उनके परिवार वालों को भी कोई सूचना नहीं दी जाती थी। शासन पर ‘तबाही की नीति’ का आरोप भयावह परिस्थिति को बयां करने वाले पीड़ितों के बयानों के जरिए लंदन के एनजीओ ने रिसर्च किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सीरिया के सैदनाया जेल में पिछले पांच वर्षों में करीब 13,000 लोगों को फांसी दी गई। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने शासन पर ‘तबाही की नीति’ अपनाने का आरोप लगाया। फांसी के बाद 10 मिनट तक झूलते रहते थे शव मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एमनेस्टी ने अपने रिपोर्ट में लिखा है, ‘इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी। उन्हें उनकी गर्दनों में फंदा डाले जाने तक यह भी नहीं पता होता था कि वह कैसे और कब मरने वाले हैं।‘ पीड़ितों में अधिकतर आम नागरिक थे जिनके बारे में ऐसा माना जाता था कि वे राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सरकार के विरोधी थे। फांसी के गवाह रहे एक पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘वे उन्हें 10 से 15 मिनट तक फांसी पर लटकाए रखते थे।‘
 

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