साइंटिस्ट्स ने बनाई कयामत के दिन की तिजोरी, एेसी बचाएगी मानव अस्तित्व (pics)

Edited By ,Updated: 23 May, 2017 06:06 PM

arctic doomsday vault which protects the world s precious seeds

उस दिन के बारे में लोग अक्सर सोचते हैं, जब धरती पर भयानक प्राकृतिक आपदा आएगी...

दमिश्कः उस दिन के बारे में लोग अक्सर सोचते हैं, जब धरती पर भयानक प्राकृतिक आपदा आएगी। युद्ध, ग्लोबल वार्मिंग या बाढ़ की वजह से फसलें बर्बाद हो जाएंगी तो इनके बीज भी नष्ट हो जाएंगे। ऐसे में लोगों के लिए खाने की कमी हो जाएगी और इससे इंसानों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने साल 2008 में इसका एक अनोखा सॉल्यूशन निकाला, जिसकी मदद से वे पूरी दुनिया की प्रमुख फसलों के बीजों को डीप फ्रीज करना चाहते थे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए साइंटिस्ट्स ने नॉर्वे में नॉर्थ पोल के पास 'डूम्स डे वॉल्ट' (कयामत के दिन की तिजोरी) बनाई है। 

'डूम्स डे वॉल्ट' का इस्तेमाल करने वाला सीरिया पहला देश था। सिविल वॉर के दौरान सूखे इलाकों में अनाज की कमी हो गई थी, ऐसे में पहली बार वॉल्ट का इस्तेमाल किया गया। हजारों की तादाद में बीज सीक्रेट शिपमेंट के जरिए मोरक्को और लेबनान भेजे गए थे। गेंहू, जौ, चने और दाल के करीब 38 हज़ार सैंपल भेजे गए, लेकिन सीरिया में जंग के हालात के चलते इनका ठीक ढंग से इस्तेमाल नहीं हो सका। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि सीरिया में भले ही इन बीजों का सही इस्तेमाल नहीं हो सका लेकिन, प्राकृतिक आपदा यानी की बाढ़ या अकाल के समय ये बीज दुनिया भर के लिए कारगर हैं।  नॉर्वे और नॉर्थ पोल के पास स्वालबार्ड आर्केपेलेगो पर 'डूम्स डे वॉल्ट' 26 फरवरी, 2008 में खोला गया।

जमीन से लगभग 120 मीटर नीचे बनाए गए इस तहखाने के दरवाजे बुलेट-प्रूफ हैं, जिसे मिसाइल से भी भेदा नहीं जा सकता। यह न्यूक्लियर वॉर, महामारी, प्रलय जैसी स्थिति के बाद धरती पर खेती की दोबारा शुरुआत करने के लिए वॉल्ट मदद करेगी। इस वॉल्ट में दुनिया के करीब सभी देशों के 8 लाख 60 हजार से ज्यादा फसलों के बीज, फलियां, गेहूं और चावल के सैम्पल (सीड बैंक) जमा किए गए हैं।  2016 में मार्च के अलावा मई महीने में भी इस वॉल्ट में बड़ी तादाद में बीजों को जमा करवाया गया था।गेट्स फाउंडेशन और अन्य देशों के अलावा नॉर्वे गवर्नमेंट ने वॉल्ट बनाने के लिए 60 करोड़ रुपए दिए थे।  एक प्रकार का बीज बैंक है, जिसका मकसद महाविनाश की स्थिति में आने वाली पीढ़ियों के लिए बीज उपलब्ध कराना है। इस तिजोरी को एक साल में सिर्फ 3 या 4 बार बीज जमा करने के लिए खोला जाता है।

क्या है खास 
ग्रे कॉन्क्रीट का 400 फुट लंबा टनल माउंटेन में बनाया गया है। ये जगह पूरी तरह बर्फ से ढंकी हुई है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि बिजली न होने की स्थिति में भी इसमें 200 सालों तक बीज, बर्फ में जमे रह सकते हैं। वॉल्ट में 8 लाख 60 हज़ार से ज़्यादा किस्म के बीज रखे जा चुके हैं, जबकि इसकी कैपिसिटी करीब 45 लाख किस्म के बीजों को संरक्षित करने की है। यहां अपने देश के बीज संरक्षित करने के लिए खाताधारकों को एक डिपॉजिट एग्रीमेंट नॉर्वे की सरकार के साथ साइन करना होता है। एग्रीमेंट की खास बात यह भी है कि इसमें साफ लिखा है कि नॉर्वे जमा किए गए बीजों पर अपना मालिकाना हक नहीं जता सकता। यानी की बीज जिस देश के हैं, वही उसका मालिक है। अमरीकी संसद के सीनेटर्स के अलावा सिर्फ यूनाइटिड नेशंस के सेक्रेटरी जनरल को इस बीज बैंक में जाने की इजाजत है।
 

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