Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 06:28 PM
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उस समय चीन का दोहरा चेहरा फिर बेनकाब हो गया जब हिंसा फैलाने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के साथ जैश ए मोहम्मद का नाम लेने के बाद भी चीन आज उन सवालों को टालता नजर आया...
बीजिंगः ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उस समय चीन का दोहरा चेहरा फिर बेनकाब हो गया जब हिंसा फैलाने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के साथ जैश ए मोहम्मद का नाम लेने के बाद भी चीन आज उन सवालों को टालता नजर आया। वीटो की क्षमता रखने वाले सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य चीन ने परिषद की अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत अजहर को प्रतिबंधित करने के कदम को बार-बार बाधित किया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने चीन समेत ब्रिक्स देशों द्वारा क्षेत्र मेंहिंसा फैलाने वाले संगठनों में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों पर कड़ा रुख लिए जाने पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अभियान में हमारी स्थिति सुसंगत और दृढ़ है।’’ उन्होंने हालांकि उस सीधे सवाल से किनारा किया कि क्या ब्रिक्स, जिसमें चीन एक महत्वपूर्ण सदस्य है, द्वारा जैश ए मोहम्मद का नाम लिया जाना बीजिंग के रुख में बदलाव का संकेत है जो हमेशा इस संगठन के मुखिया अजहर पर प्रतिबंध के खिलाफ रहा है।
जेंग ने कहा, ‘‘मैंने ब्रिक्स का संयुक्त घोषणा पत्र नहीं देखा और इसकी विशिष्ट सामग्री की जानकारी नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिक्स देशों में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर, ब्रिक्स द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों से हम बेहद संतुष्ट हैं। आतंकवाद पर हमारे यहां एक कार्यसमूह है।’’ पिछले 2 सालों में भारत और बाद में अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा अजहर को आतंकवादी घोषित करने के मामले में चीन लगातार यह कहकर अड़ंगा लगाता रहा है कि इस मुद्दे पर कोई आम राय नहीं है। इसकी वजह से भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय रिश्तों में कड़वाहट बढ़ी क्योंकि बीजिंग के इस कदम को पाकिस्तान के लिए अजहर के बचाव के प्रयास के तौर पर देखा गया।