चाइनीज कंपनियों का भारत के इस क्षेत्र में भी बढ़ा दखल

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2017 11:27 AM

chinese companies are also increasing interference in   india

चीन की कंपनियां न केवल भारतीय बिजनैस में एंट्री कर रही हैं, बल्कि अब भारतीयों के लिए सबसे बड़ा ''धर्म'' माने जाने वाले क्रिकेट को भी कंट्रोल कर रही हैं...

बीजिंगः चीन की कंपनियां न केवल भारतीय बिजनैस में एंट्री कर रही हैं, बल्कि अब भारतीयों के लिए सबसे बड़ा 'धर्म' माने जाने वाले क्रिकेट को भी कंट्रोल कर रही हैं। चाहे वह कैश-रिच इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की टाइटल स्पॉन्सरशिप हो या भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे ज्यादा प्रीमियम और सबसे पुराने स्पॉन्सरशिप राइट्स हों, चाइनीज कंपनियों का सबमें दखल हो गया है।

इंडियन क्रिकेट की सभी प्रमुख स्पॉन्सरशिप पर उन्होंने कब्जा जमा लिया है। स्पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म बेसलाइन वेंचर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर तुहिन मिश्रा का कहना है, 'चाइनीज कंपनियां अभी इंडिया के साथ-साथ वर्ल्ड क्रिकेट को कंट्रोल कर रही हैं। निश्चित रूप से भारत और एशियाई उप-महाद्वीप उनके लिए बहुत बड़ा मार्कीट है, जिस कारण चीन की कंपनियां यहां बहुत ज्यादा वैल्यू देख रही हैं और एडवर्टाइजिंग, प्रमोशंस पर काफी पैसा लगा रही हैं।' उदाहरण के लिए ओपो और विवो की होल्डिंग कंपनी BBK इलैक्ट्रॉनिक्स अब भारतीय क्रिकेट टीम की स्पॉन्सर है।

यह IPL की टाइटल स्पॉन्सर के साथ-साथ इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल की भी स्पॉन्सर है। पेटीएम के पास भारत में खेली जाने वाले सभी क्रिकेट सीरीज की टाइटल स्पॉन्सरशिप है। चाइनीज ई-कॉमर्स दिग्गज अलीबाबा, पेटीएम की सबसे बड़ी स्टेकहोल्डर है। कई चाइनीज ब्रैंड्स क्रिकेट और क्रिकेट स्टार्स पर काफी पैसा खर्च कर रहे हैं। ब्रैंड एक्सपर्ट हरीश बिजूर इसे चीन की तरफ से किए जाने वाले कंप्लीट टेकओवर के रूप में देखते हैं। बिजूर का कहना है, 'पहले इन कंपनियों ने टेलिकॉम पर कब्जा जमाया और अब क्रिकेट पर। आपको इन्वेस्टमेंट के मोर्चे पर भारत में चाइनीज कंपनियों की तरफ से बैकएंड और फ्रंटएंड दोनों में बड़े दांव देखने को मिलेंगे।

'हालांकि, कुछ मार्कीटिंग एग्जिक्युटिव्स का मानना है कि चाइनीज ब्रैंड्स ऐसे इन्वेस्टमेंट इसलिए कर रहे हैं ताकि वे मार्केट शेयर बढ़ा सकें। एक भारतीय टेलिकॉम कंपनी के मार्कीटिंग एग्जिक्युटिव ने बताया कि चीन के ब्रैंड्स भारतीयों के दिलो-दिमाग पर छा जाना चाहते हैं। उन्होंने बताया, 'क्रिकेट हमारे लिए धर्म की तरह है। चीन की कंपनियां इसे समझने लगी हैं। हमने हाल में देखा है कि LeEco जैसी कंपनियां बड़े वादे के साथ आईं और इसके बाद वह यहां अपना बिजनस बंद कर रही हैं।'

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