पाक में टार्चर से बिगड़ी भारत लौटे जवान की मानसिक हालत

Edited By ,Updated: 29 Jan, 2017 12:56 PM

deteriorated mental  condition  of  chandu witn  pakistan torture

पाकिस्तानी सेना के चंगुल से 115 दिनों बाद छूटकर भारत लौटे सिपाही चंदू बाबूलाल चव्हाण (22) सुधबुध खो बैठे हैं...

इस्लामाबाद/नई दिल्लीः पाकिस्तानी सेना के चंगुल से 115 दिनों बाद छूटकर भारत लौटे सिपाही चंदू बाबूलाल चव्हाण (22) सुधबुध खो बैठे हैं। सेना की 37 राष्ट्रीय राइफल के इस सिपाही के दिल में पाकिस्तान में हुए जुल्म इस तरह घर कर गए हैं कि उनकी मानसिक हालत बिगड़ गई है।  जब पाकिस्तान ने उन्हें लौटाया तब चंदू आधी बेहोशी की हालत में था। उसकी गर्दन पर चोटों के निशान थे।  टॉर्चर से वह अब तक उबर नहीं सके हैं। उन्हें नॉर्मल करने के लिए सेना के डॉक्टर्स ने पहले अमृतसर के हॉस्पिटल में इलाज किया। 

अब दिल्ली में सेना के अफसर व एक्सपर्ट्स काउंसलिंग कर उन्हें दुबारा नॉर्मल करने की कोशिश कर रहे हैं। जितना टॉर्चर चंदू ने पाकिस्तान में सहा उतना ही दुख उसके परिवार ने देश में सहा।  चंदू को भारत लाने के लिए उनके बड़े भाई फौजी भूषण चव्हाण बीते 115 दिन से सोशल मीडिया पर जंग लड़ रहे थे। खासकर ट्विटर पर। भूषण बताते हैं  29 सितंबर की रात   चंदू जम्मू-कश्मीर के कृष्णा घाटी सेक्टर में गलती से एलओसी पारकर पीओके में चला गया।  वहां उसे पाकिस्तानी सेना ने पकड़कर बंधक बना लिया। उस दिन पूरा देश सर्जिकल स्ट्राइक की खुशी में डूबा था और इधर उसके परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा था।

चंदू के पाकिस्तान जाने की खबर सुनते ही नानी लीला बाई पाटिल को ऐसा सदमा लगा कि हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।  भूषण बताते हैं बचपन से ही हमारे माता पिता की मौत हो गई थी। उसके बाद से महाराष्ट्र के धुले जिले के बोरविहिर गांव में नाना सीडी पाटिल ने ही उनकी परवरिश की। पूरे गांव को उसके लौटने की उम्मीद खत्म हो गई थी। वे बताते हैं उसके लौटने की उम्मीद धूमिल गई थी लेकिन उसे विश्वास था कि चंदू सेना का सिपाही है, इसलिए पाकिस्तान उसे वहां नहीं रख सकता।
 दो-तीन दिन बाद सबसे पहले पाकिस्तान टीवी पर ये बताया गया कि वह पाकिस्तानी सेना की हिरासत में है। वो जिंदा है यह सुनकर एक उम्मीद जगी। तीन-चार दिन तक उसके लिए हमारे सांसद व रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे को कॉल किए। सेना भी कोशिश कर रही थी, बावजूद रिहाई की खबर नहीं आई तो  उसने तुरंत ही उसके लिए सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ने की ठानी।

 5 अक्टूबर को उसने अपना ट्विटर हैंडल बनाया और सबसे पहला ट्वीट चंदू के नाम किया ‘चंदू घर आ जाओ, बाबा की तबीयत खराब हो रही है, मिस यू’। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री से लेकर सबको ट्वीट करने शुरू किए। इस अभियान में उसकेरे और चंदू के दोस्त भूषण बाघ, चेतन पाटिल, हितेष कछवे, मालदा की संगमित्रा दास सहित 10-12  लोग जुड़ गए।  सभी ने अपने ट्विटर हैंडल से रोजाना ट्‌वीट करने शुरू किए। इंग्लिश अच्छी नहीं होने के कारण  वह रोमन हिंदी में मैसेज करता था। बाद में अच्छी अंग्रेजी जानने वालों की मदद से ट्वीट करने लगा।  इस तरह कुल 1000 से ज्यादा संदेशों में हमने परिवार की पीड़ा बयां की। 

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