दोपहिया वाहनों पर सरेआम उड़ रही नियमों की धज्जियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 05:44 PM

now girls also violate traffic rules

यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों में लड़कों की संख्या काफी अधिक है परन्तु इनमें लड़कियों की भागीदारी भी बराबरी पर पहुंच चुकी है।

ऊधमपुर : यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों में लड़कों की संख्या काफी अधिक है परन्तु इनमें लड़कियों की भागीदारी भी बराबरी पर पहुंच चुकी है। खासकर नाबालिग लड़कियों और स्कूली छात्राओं को दोपहिया वाहन पर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए साफ देखा जा सकता है। अक्सर देखा गया है कि लड़के या तो दोपहिया वाहनों को तेज रफ्तार में दौड़ाकर अपनी और राहगीरों की जान को जोखिम में डाल देते हैं या फिर स्टंट के चक्कर में हादसे का शिकार होकर अपनी जान गंवा देते हैं। इनमें कच्ची उम्र के किशोर या छात्रों की संख्या काफी अधिक होती है। एक बाइक पर 3 से 4 छात्र सवार रहते हैं, नाबालिग होने की वजह से न तो यह ड्राइविंग लाइसैंस के हकदार होते हैं और न ही वाहन चलाने के, परन्तु दिखावे की इस दुनिया में कई मां-बाप अपने बच्चों के हाथों में छोटी सी उम्र में ही मौत का वाहन थमा देते हैं। ऐसे मां-बाप को अपनी गलती का अहसास तब होता है जब वह सड़क हादसे में अपने चहेते को गंवा देते हैं और फिर बाद में खुद को कोसते रहते हैं। लड़कों के साथ लड़कियां भी बदलते दौर में खुद को पीछे नहीं रखना चाहतीं लेकिन प्रतिस्पर्धा के मद्देनजर तो यह सही है लेकिन यातायात व्यवस्था से खिलवाड़ हर वर्ग और हर उम्र के लिए नुक्सानदायक है।

 

ट्रिपलिंग करने से भी नहीं करतीं परहेज
दोपहिया वाहनों पर 2 से अधिक व्यक्तियों का सवार होना ओवरलोडिंग एक्ट के दायरे में आता है। दोपहिया वाहनों पर 2 लोगों को ही बैठने की अनुमति होती है जिससे चालक का वाहन पर भी सही नियंत्रण रहता है और काफी हद तक हादसों से बचा जा सकता है परन्तु युवकों के साथ-साथ युवतियां भी स्कूटी पर 3-3 सहेलियों के साथ सवार होने से परहेज नहीं करतीं जोकि उनके लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

 

यातायात नियमों का पाठ पढ़ाने की जरूरत
यातायात विभाग का डंडा दोपहिया वाहन चलाने वाले युवकों पर अक्सर चलते देखा गया है, लेकिन यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाली युवतियों एवं छात्राओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। हालांकि कुछ युवतियों में यातायात नियमों को लेकर काफी समझ होती है, लेकिन स्कूली छात्राओं एवं बच्चियों को यातायात नियमों के पाठ पढ़ाने की जरूरत है।

 

वाहन चलाने के लिए लाइसैंस जरूरी 
वाहन चलाने के लिए सबसे पहला नियम यह है कि कम से कम 18 वर्ष की उम्र और यातायात विभाग में ट्रायल के आधार पर हासिल किया गया पंजीकृत ड्राइविंग लाइसैंस। बिना गियर वाले दोपहिया वाहन चलाने के लिए 16 से 18 साल तक की उम्र में भी लाइसैंस प्राप्त किया जा सकता है जिसमें सिर्फ बिना गियर वाले स्कूटी वाहन का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन अफसोस की बात यह है कि मां-बाप बच्चों को भले ही लाइसैंस न बनाकर दें परन्तु पहले उसे चलाने के लिए वाहन जरूर थमा देते हैं। बच्चों की उम्र को तो नजरअंदाज किया ही जाता है और इस बात की भी पुष्टि नहीं की जाती कि क्या उनका बच्चा वाहन चलाने के काबिल हुआ है या नहीं। 

 

तेज रफ्तार जैसी बेवकूफी को मानते हैं टशन
दोपहिया वाहनों को तेज रफ्तार में दौड़ाना युवाओं के लिए टशन बन चुका है लेकिन ऐसा करने वालों को यह नहीं पता चलता है वह सबसे बड़ी बेवकूफी का काम रहे हैं। वाहन को तेज दौड़ाने से न ही चालक की पर्सनैलिटी झलकती है और न ही कोई ऐसा काम होता है जिससे हर कोई उसे बहादुरी का पुरस्कार दे। लड़कों के साथ-साथ लड़कियों में भी दोपहिया वाहनों को तेज रफ्तार में दौड़ाने का चलन बढ़ता जा रहा है, जिस पर यातायात विभाग को भी लगाम कसने की जरूरत है।

 

हैल्मेट पहनना नहीं देता है शोभा
वाहन चलाने के लिए दूसरा नियम यह है कि दोपहिया वाहन चलाते समय हैल्मेट जरूर पहनें जोकि चालक की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। परन्तु लड़कियां हैल्मेट पहनने से भी परहेज करती हैं क्योंकि हैल्मेट से या तो उनके बाल खराब हो जाते है या फिर उन्हें हैल्मेट पहनना शोभा नहीं देता। यह मां-बाप का फर्ज बनता है कि अपनी बच्चियों को घर से बाहर निकलते समय हैल्मेट जरूर पहनने को कहें लेकिन अधिकतर मां-बाप अपनी इस जिम्मेवारी को पूरी तरह नहीं निभा पाते।

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