Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Nov, 2017 05:47 PM
दिल्ली के वायु प्रदूषण में धूल भले ही बड़ी भूमिका में नजर आती हो, लेकिन वास्तव में इससे ज्यादा हानिकारक तत्व हैं वाहन, ताप विद्युत संयंत्र और उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन। अध्ययन और शोध रिपोर्ट में पता चलता है कि पीएम 2 . 5 या पीएम 10 के रासायनिक...
नई दिल्ली: दिल्ली के वायु प्रदूषण में धूल भले ही बड़ी भूमिका में नजर आती हो, लेकिन वास्तव में इससे ज्यादा हानिकारक तत्व हैं वाहन, ताप विद्युत संयंत्र और उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन। अध्ययन और शोध रिपोर्ट में पता चलता है कि पीएम 2 . 5 या पीएम 10 के रासायनिक संयोजन से हवा के जहरीले होने का पता चलता है न कि उनकी मात्रा से।
उच्चतम न्यायालय की तरफ से नियुक्त वातावरण प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने एक रिपोर्ट में इसी तरह की बात कही है कि कोयला और डीजल के कण, धूलकण की तुलना में ज्यादा हानिकारक हैं क्योंकि उनसे दिल से संबंधित बीमारियों से ज्यादा मौत होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसी तरह से डीजल के दहन से निकलने वाले कण ज्यादा जहरीले होते हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे फेफड़े के कैंसर के लिए ज्यादा खतरनाक बताया है जो सिगरेट पीने और एस्बेस्टस से निकलने वाले कण की तरह हैं।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इससे पता चलता है कि हमें ज्यादा हानिकरक कणों को प्राथमिकता देनी चाहिए। दहन के स्रोत वाहन, ताप विद्युत संयंत्र और उद्योग पर ज्यादा कठोर और प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई की जरूरत है।’’