ASER रिपोर्ट : ग्रामीण भारत में अधिक स्टूडेंट्स जा रहे है स्कूल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jan, 2018 12:08 PM

aser report  more students going to school in rural india

राइट टू एजुकेशन के अधिकार के आने के बाद गांवों में अधिक छात्र स्कूल जा रहे है। हॉल में ही जारी हुई प्राथमिक...

नई दिल्ली : राइट टू एजुकेशन के अधिकार के आने के बाद गांवों में अधिक छात्र स्कूल जा रहे है। हॉल में ही जारी हुई प्राथमिक स्कूलों की एनुअल स्टेटस एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) के मुताबिक ग्रामीण भारत में अधिक छात्र स्‍कूल जा रहे हैं। साथ ही छात्रों में पढ़ने की क्षमता भी बेहतर हुई है। सबसे ज्यादा बेहतर स्थिति तीसरी क्लास के बच्चों में देखी गई है। 2014 में तीसरी क्लास के 40.2 फीसदी बच्चे पहली क्लास की किताब पढ़ पाते थे वहीं 2016 में उनकी संख्या बढ़कर 42.5 फीसदी हो गई है। वहीं यूपी मेंं राजधानी से ज्यादा छोटे शहरों के बच्चे स्कूल जाते हैं।


(ASER) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 5वीं क्लास के छात्रों की पढ़ने की स्किल 2014 के मुकाबले 2016 में कोई बदलाव नहीं हुआ है।  लेकिन चिंता की बात 8वीं क्लास के छात्रों को लेकर सामने आई है। 8वीं के छात्रों में रीडिंग स्किल काफी कम है। साल 2014 में जहां कक्षा 8 के 74.7 फीसदी बच्चे क्लास 2 की किताब पढ़ सकते थे, वहीं साल 2016 में ये आंकड़ा घटकर 73.1 फीसदी  रह गया। रिपोर्ट के मुताबिक अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता प्राइमरी स्कूलों में आज भी बेहतर नहीं हो पाई है। 2016 में 60 फीसदी बच्चे शब्द पढ़ सकते थे, 62.4 फीसदी पूरी लाइन पढ़ सकते थे, लेकिन मतलब नहीं समझा सकते।


रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी लखनऊ के 8.2% फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते। वहीं श्रावस्ती, बहराइच आदि देवीपाटन डिविजन में 7% प्रतिशत बच्चे नहीं जाते स्कूल। यानी राजधानी से ज्यादा उसके आस-पास लगे छोटे शहरों के बच्चे स्कूल जाते हैं। लखनऊ में 54.4 % बच्चे आसानी से शब्द पढ़ लेते हैं, वहीं गोरखपुर में 70% तो वहीं मेरठ में 69 % बच्चे पढ़ लेते हैं।पोर्ट में यह संकेत है कि अब बच्चों का रुझान प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ रहा है। 2011 में प्राइवेट स्कूल में जाने वाले बच्चों का नामांकन प्रतिशत 12 था, जो अब बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया है। पिछले साल की तुलना गणित, हिन्दी और अंग्रेजी तीनों विषयों में बच्चों की संख्या बढ़ी है। नामांकन भी 97 प्रतिशत हो गया है। 2.8 प्रतिशत बच्चे ड्राप आउट हैं। पिछले साल यह आंकड़ा करीब 3 प्रतिशत था।  हालांकि हिमाचल, महाराष्ट्र, हरियाणा और केरल के सरकारी स्कूलों में स्थित कुछ बेहतर हुई है। जहां पांचवीं क्लास के बच्चों में साधारण अंग्रेजी पढ़ने की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन 8वीं क्लास के बच्चों की स्थिति यहां भी पतली है। साल 2009 में 60.2 फीसदी के मुकाबले साल 2016 में आंकड़ा घटकर 45.2 फीसदी तक आ गया है। 

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