यदि आपका जन्म 14 नवम्बर से 14 दिसम्बर के बीच हुआ हो

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 02:29 PM

if you were born between 14 november and 14 december

वृश्चिक का सूर्य प्रात: 14 नवम्बर से 14 दिसम्बर तक रहता है। इस समय जो जातक पैदा होते हैं वे तीक्ष्ण बुद्धि परन्तु चंचल स्वभाव के आदर्शवादी, अपनी धुन के तथा धार्मिक विचार के होते हैं। इनकी इच्छा शक्ति दृढ़ होती है और धैर्य के साथ काम में लगते हैं।...

वृश्चिक का सूर्य प्रात: 14 नवम्बर से 14 दिसम्बर तक रहता है। इस समय जो जातक पैदा होते हैं वे तीक्ष्ण बुद्धि परन्तु चंचल स्वभाव के आदर्शवादी, अपनी धुन के तथा धार्मिक विचार के होते हैं। इनकी इच्छा शक्ति दृढ़ होती है और धैर्य के साथ काम में लगते हैं। स्वभाव जोशीला और क्रोधी होता है। भय के काम में पडऩे से ऐसे लोग झिझकते नहीं। एक बार क्रोध आने पर ऐसे लोग क्षमा करना नहीं जानते। मन में क्रोधाग्रि धधकती रहती है। यद्यपि बाहर से मालूम होता है कि ये शांत हो गए हैं परन्तु प्रतिहिंसा की भावना उनके अंदर और भी भयानक रूप धारण कर लेती है तथा बिना परिणाम का विचार किए शीघ्रतापूर्वक बदला लेने की भावना से ऐसे व्यक्ति अपने प्रतिद्वंद्वी को निर्दयता से हानि पहुंचाने की चेष्टा करते हैं। इनके शरीर में कफ प्रकृति प्रधान होती है। वे केवल अपने व्यक्तित्व से अपने विरोधी को दबा लेते हैं। यदि शिक्षा से ऐसे व्यक्ति सुसंस्कृत न हों तो प्राय: झगड़ालू स्वभाव के होते हैं और अकारण ही संघर्ष में आ जाते हैं। ऐसे जातक ग्राम जीवन तथा खेती का कारोबार पसंद करते हैं। अपने विचारों में वे इतने जिद्दी होते हैं कि दूसरों को समझाने से नहीं मानते। जीवन के पूर्वाद्र्ध में ऐसे व्यक्तियों का भाग्योदय नहीं होता परन्तु उत्तराद्र्ध में काफी सफलता मिलती है।


पं. जवाहर लाल नेहरू, डा. राजेन्द्र प्रसाद, श्री राजगोपालाचारी और श्री मावलंकर आदि बहुत से लोगों के ऐसे उदाहरण हैं जिनका विशेष अभ्युदय जीवन के उत्तराद्र्ध में हुआ। ऐसे जातकों को विरासत में सम्पत्ति मिलने का भी योग होता है। भाई कम होंगे और उनमें से एक को ऊंचे से गिरने या डूबने का अंदेशा होता है। यदि ऐसा जातक मध्य रात्रि के बाद और मध्यान्ह के पूर्व पैदा हुआ हो तो इसके पिता का पद और भाग्य नष्ट हो जाता है। संतान बहुत होती है।


ज्वर, सिरदर्द तथा स्नायु संबंधी दर्द की शिकायत होती है। इनका कारण अत्यंत परिश्रम या अत्यंत भोग होता है। एक बड़ी बीमारी होगी परन्तु  जातक उससे मुक्त हो जाएगा। ऐसा जातक अवश्य विवाह करेगा और संभावना यह है कि प्रथम पत्नी का सुख अधिक न हो और दूसरा विवाह करे। पत्नी को किसी चौपाए से या दुर्घटना से चोट लगने का भी अंदेशा होता है।


यह भी संभावना है कि 30 वर्ष की अवस्था के पहले किसी प्रेमी या मित्र की मृत्यु हो, जिससे हृदय को आघात लगे। काफी यात्राएं करनी होंगी, पर उनसे कोई विशेष लाभ नहीं होगा क्योंकि ऐसे जातकों को प्रौढ़ावस्था के बाद सफलता प्राप्त होगी। जीवन का पूर्व भाग्योदय के लिए संघर्ष में ही बीतेगा।


मित्र बहुत होंगे और उच्च पदस्थ व्यक्तियों की कृपा भी प्राप्त होगी किंतु किसी एक मित्र अथवा संरक्षक के कारण सफलता में या प्रेम संबंध में बाधा होगी। शत्रुताएं भी बहुत होंगी और प्राय: स्थायी रहेंगी। 


राजनीतिज्ञ, समीक्षक, डाक्टर, इंजीनियर, मशीन के कार्य आदि में ये लोग विशेष सफल हो जाते हैं। मंगलवार और 6 की संख्या इनके लिए महत्वपूर्ण होगी। कुछ श्यामलता लिए हुए लाल रंग भी लाभप्रद होगा। 

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