मुशर्रफ ने फिर खोली अपनी भारत विरोधी करतूतों की पोल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Dec, 2017 03:58 AM

musharraf reopens his anti india riot

भारत के साथ वर्षों की शत्रुता और 3-3 युद्धों के बाद भी जब पाकिस्तान कुछ न पा सका तो नवाज शरीफ ने 21 फरवरी, 1999 को श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके आपसी मैत्री व शांति के लिए लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए परन्तु सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने न...

भारत के साथ वर्षों की शत्रुता और 3-3 युद्धों के बाद भी जब पाकिस्तान कुछ न पा सका तो नवाज शरीफ ने 21 फरवरी, 1999 को श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके आपसी मैत्री व शांति के लिए लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए परन्तु सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने न तो श्री वाजपेयी को सलामी दी और न ही शरीफ द्वारा श्री वाजपेयी के सम्मान में दिए भोज में शामिल हुआ। 

यही नहीं, मई 1999 में कारगिल पर हमला करके 527 भारतीय सैनिकों को शहीद करवाने व पाकिस्तान के 700 सैनिकों को मरवाने के पीछे भी परवेज मुशर्रफ का ही हाथ था। बाद में परवेज मुशर्रफ ने उसी नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर उसे जेल में डालने के बाद देश निकाला भी दे दिया, जिसने उसे पाकिस्तान का सेनाध्यक्ष बनाया था और स्वयं पाकिस्तान का शासक बन बैठा। 20 जून, 2001 से 18 अगस्त, 2008 तक पाकिस्तान का राष्ट्रपति रहा परवेज मुशर्रफ 2001 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी से वार्ता के लिए भारत आया परंतु वार्ता अधूरी छोड़ कर ही आगरा से वापस पाकिस्तान चला गया। 

2007 में हुई बेनजीर भुट्टो की हत्या में संलिप्तता, 3 नवम्बर, 2007 को देश में एमरजैंसी लागू कर संविधान निलंबित करने और चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी सहित 60 जजों को बर्खास्त करने के चलते अपने विरुद्ध बढ़े असंतोष तथा सम्भावित गिरफ्तारी से बचने के लिए वह 18 अगस्त, 2008 को त्यागपत्र देकर पाकिस्तान से खिसक गया। पाकिस्तान की अदालत द्वारा भगौड़ा घोषित पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ बीच में कुछ अवधि के लिए पाकिस्तान आया तथा इस समय दुबई में स्व-निर्वासन का जीवन बिता रहा है। अतीत में भी ओसामा बिन लाडेन, अल जवाहिरी तथा हक्कानी को पाकिस्तान के हीरो बता चुके मुशर्रफ ने तालिबान तथा लश्कर जैसे आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान सरकार द्वारा धन तथा प्रशिक्षण दिए जाने की बात भी स्वीकार की थी और इतना ही नहीं बल्कि पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में आतंकवादी भेजने तथा उन्हें पूरी सहायता देने का रहस्योद्घाटन भी किया था। 

और अब लश्कर से जुड़े जमात-उद-दावा के प्रमुख और मुम्बई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की लाहौर हाईकोर्ट के आदेश पर रिहाई के कुछ ही दिन बाद परवेज मुशर्रफ ने फिर स्वीकार किया है कि वह आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तोयबा के संरक्षक हाफिज सईद तथा जैश-ए-मोहम्मद का सबसे बड़ा समर्थक है। एक न्यूज चैनल से जुड़ा उसका एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि ‘‘मैं लश्कर का सबसे बड़ा समर्थक हूं और मैं यह जानता हूं कि लश्कर तथा पाकिस्तान में सईद की अध्यक्षता वाला जमात-उद-दावा भी मुझे पसंद करता है।’’ 

पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए उसने कहा कि मुम्बई हमले का मास्टर माइंड हाफिज सईद कश्मीर की गतिविधियों में शामिल है और वह खुद इस भागीदारी का समर्थन करता है। कश्मीर में भारतीय सेना को दबाने के लिए लश्कर की भूमिका का समर्थन करते हुए उसने कहा,‘‘मैं हमेशा कश्मीर में कार्रवाई करने तथा भारतीय सेना पर दबाव बनाने के पक्ष में रहा हूं।’’ टी.वी. चैनल ए.आर.वाई. से बातचीत करते हुए मुशर्रफ ने कहा, ‘‘लश्कर-ए-तोयबा एक बड़ी ताकत है और भारत ने इस संगठन को अमरीका के साथ सांझेदारी के बाद आतंकवादी घोषित किया है। हां, मैं मानता हूं कि यह संगठन कश्मीर की गतिविधियों में शामिल है लेकिन यह हमारे और कश्मीर के बीच का मामला है।’’ वह इतने पर ही नहीं रुका बल्कि उसने आगे स्वीकार किया कि ‘‘कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान लश्कर की मदद लेता आया है।’’ 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मुशर्रफ के उक्त बयान की निंदा करते हुए कहा है कि पाकिस्तान में पांव जमाने के लिए अब यह आदमी कुछ भी बोल सकता है। उमर अब्दुल्ला का यह कहना बिल्कुल सही है क्योंकि अतीत में एक बार कारगिल के बाद 12 अक्तूबर, 1999 को नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर स्वयं सत्ता पर काबिज हो गया था। बहरहाल, ये बातें कह कर परवेज मुशर्रफ ने खुद ही अपनी और अपनी सरकार की पोल खोल दी है और एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि इस मुद्दे पर वह सारी दुनिया को मूर्ख बना रहा था और आतंकवादी गतिविधियों के पीछे इसी का दिमाग और समर्थन काम कर रहा था जो आज भी पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी है। 

आज जबकि बारूद के ढेर पर बैठा पाकिस्तान आतंकवादियों के हाथों में बंधक बना हुआ है और वहां रोज होने वाले धमाकों में अनगिनत लोगों की जानें जा रही हैं, पाकिस्तान के शासकों को दीवार पर लिखा हुआ पढऩा चाहिए और परवेज मुशर्रफ के रहस्योद्घाटनों से सबक लेते हुए उन आतंकवादी गिरोहों के सफाए की दिशा में पग उठाने चाहिएं जो आज इस क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन कर उभरे हैं।—विजय कुमार 

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