Vaman Jayanti 2021: पौराणिक कथा से जानें, दैत्य कैसे बना भगवान का प्यारा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Sep, 2021 08:24 AM

vamana avatar jubilee

कश्यप ॠषि व माता अदिति की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उनको, उनके यहां प्रकट होने का वचन दिया। श्रावन महीने के 12वें दिन, अभिजीत नक्षत्र में भगवान

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Vaman Jayanti 2021: कश्यप ॠषि व माता अदिति की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उनको, उनके यहां प्रकट होने का वचन दिया। श्रावन महीने के 12वें दिन, अभिजीत नक्षत्र में भगवान चतुर्भुज रूप में, शंख-चक्र-गदा-पद्म लिए, पीताम्बर पहने कश्यप ॠषि व माता अदिति के सामने प्रकट हो गए। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान ने वामन रूप ले लिया। माता-पिता ने उनके सभी संस्कार सम्पन्न किए। 

PunjabKesari Vaman Jayanti
उसी समय महाराज बलि ने नर्मदा नदी के किनारे भृगु-क्च्छ क्षेत्र में यज्ञ शुरु किया। जैसे एक नया दीक्षित ब्राह्मण भिक्षा मांगने जाता है, उसी प्रकार भगवान वामन देव बलि महाराज की यज्ञ-शाला की ओर चल दिए। बहुत से याचक ब्राह्मण उधर जा रहे थे। सभी तेजी से चल रहे थे परन्तु भगवान की अचिन्त्य शक्त्ति के प्रभाव से कोई भी उनसे पहले वहां नहीं पहुंचा जैसे ही भगवान वहां पहुंचे, यज्ञ की अग्नि मंद पड़ गई। बलि महाराज समझ गए कि कोई तेजस्वी याचक आया है। सब तुरंत खड़े हो गए व श्रीवामन देव के स्वागत में जुट गए।
 
PunjabKesari Vaman Jayanti
बलि महाराज के निवेदन करने पर श्री वामन देव ने उनके पूर्वजों की बड़ाई की व अपने लिए तीन पग भूमि की मांग की। अपने गुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भी बलि महाराज ने संकल्प लिया कि वे ब्राह्मण को तीन पग भूमि देंगे। संकल्प होते ही वामन भगवान ने विशाल रूप धरा व दो पगों में ही सारा त्रि-जगत नाप लिया। 

तीसरा पग कहां रखूं? - प्रश्न किया भगवान ने । 

अपनी धार्मिक पत्नी विन्धयावली के सुझाव पर श्रीबलि महाराज ने भगवान से तीसरा पग उनके (बलि महाराज के) सिर पर रखने का निवेदन किया। भगवान की नाभि से तीसरा पग निकला और बलि महाराज के सिर पर सुशोभित हो गया। 
 
PunjabKesari Vaman Jayanti
श्रीबलि महाराज ने आत्मनिवेदन (नवधा भक्ति में से एक) के माध्यम से भगवान को प्रसन्न कर लिया। भगवान ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें सुतल लोक का राज्य दिया और सुदर्शन चक्र को उनकी रक्षा का भार सौंपा।

बाद में भगवान श्री वामन देव ने बलि महाराज के गुरु शुक्राचार्य से कहा कि आपके शिष्य को तो बहुत कष्ट का सामना करना पड़ा है, अब आप उनके कल्याण के लिए यज्ञ का आयोजन करें। 

तब श्री शुक्राचार्य ने कहा, 'मेरे शिष्य ने आपके दर्शन कर लिए हैं। आपका नाम, गुणगान किया है। देवताओं को भी दुर्लभ आपके चरणों को उसने अपने सिर पर धारण किया है। क्या अब भी वो अशुद्ध है कि मुझे उसके लिए यज्ञ करना पड़ेगा?' 
 
PunjabKesari Vaman Jayanti
मन्त्र के उच्चारण में कुछ कमी रह सकती है, नियमों को पालन करने में कहीं चूक हो सकती है,  समय, स्थान, पात्र, वस्तु -सामान, इत्यादि के कारण कुछ कमी रह सकती है, किन्तु जब आपका नाम वहां पर ले लिया जाता है तो सब कुछ शुद्ध हो जाता है।

छलयसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन,
पद - नख - नीर जनित जन पावन,
केशव-धृत वामन-रूप,
जय जगदीश हरे, जय जगदीश हरे॥

  
हे केशव ! हे श्रीवामन का रूप धारण करने वाले, जगदीश, हे भक्तों का अंहकार हरने वाले, तुम्हारी जय हो। क्योंकि तुम, बलि राजा के द्वारा दी हुई पृथ्वी को नापते समय, बलि राजा को छलते रहते हो, अतः अद्बुत वामन रूप वाले हो, उसी समय तुम्हारे चरण-नख से उत्पन्न हुए गंगाजल के द्वारा, तुम समस्तजनों को पवित्र बनाने वाले हो। 
 
PunjabKesari Vaman Jayanti

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!