Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 12:53 AM
जोशी ने कहा कि सेंसर बोर्ड किसी फिल्म के सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के लिए 68 दिन का समय लेता है ताकि पद्मावती जैसे हालत से निपटने के लिए उसके पास पर्याप्त समय हो। सेंसर बोर्ड चीफ ने आईएफएफआई के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, ''हमे यह समझने की जरूरत है कि...
पणजीः देशभर में चौतरफा विरोध झेल रही संजय लीली भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' पर सेंसर बोर्ड जल्दबाजी में कोई फैसला लेना के मूड़ में नहीं दिख रहा है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के चीफ प्रसून जोशी ने कहा कि सेंसर बोर्ड फिल्म पर संतुलित निर्णय लेगा लेकिन इसके लिए पूरा वक्त मिलना चाहिए।
गौरतलब है कि राजपूत संगठनों द्वारा संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित 'पद्मावती' का जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। राजपूतों का आरोप है कि भंसाली ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया है। राजपूत संगठनों का कहना है कि फिल्म में महारानी पद्मावती के कैरक्टर का अनादर किया गया है।
जोशी ने कहा कि सेंसर बोर्ड किसी फिल्म के सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के लिए 68 दिन का समय लेता है ताकि पद्मावती जैसे हालत से निपटने के लिए उसके पास पर्याप्त समय हो। सेंसर बोर्ड चीफ ने आईएफएफआई के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, 'हमे यह समझने की जरूरत है कि सीबीएफसी एक संतुलित निर्णय लेगा। सड़कों पर जारी प्रदर्शन से हमारा कुछ लेना देना नहीं है।'
इससे पहले सेंसर बोर्ड ने तकनीकी समस्या का हवाला देकर पद्मावती को उसके निर्माताओं को लौटा दिया था। जोशी ने कहा, 'हम बहुत वक्त नहीं मांग रहे हैं। हम 68 दिन से पहले फिल्म को सर्टिफाई कर देते हैं। हम तभी समय मांगते हैं जब स्थिति अभी जैसी हो। यह नया नहीं है। सीबीएफसी तो इस तरह की स्थिति वर्षों से देखता आ रहा है। अगर कुछ लोग इसे नहीं देखना चाहते हैं तो यह उनपर निर्भर है।'
उन्होंने कहा, 'मैं संजय लीला भंसाली की इज्जत करता हूं। फिल्म समुदाय का सदस्य होने के नाते मैं उनकी स्थिति समझ सकता हूं लेकिन यह स्थिति भंसाली के लिए नहीं है। यहां फिल्म को लेकर विवाद है।' उन्होंने कहा कि यह समय तर्क करने का नहीं है। बातचीत का रास्ता आगे है। जोशी ने कहा, 'हमे धैर्य रखने की जरूरत है। लोगों में नाराजगी, गुस्सा और विरोध है। इसको खत्म करने की जरूरत है।'