Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Oct, 2017 07:42 PM
भारत की आत्मा गांवों में बसती है, और गांव में किसान। मोदी के गुजरात से निकलकर केंद्र में जाने के एक वर्ष बाद ही गुजरात में सरकार के प्रति असंतुष्टी की भावना उभकर सामने आ गई। गुजरात के ग्रामीण इलाकों में बसने वाले लोगों ने वर्ष 2015 में हुए जिला...
नेशनल डेस्क: भारत की आत्मा गांवों में बसती है, और गांव में किसान। मोदी के गुजरात से निकलकर केंद्र में जाने के एक वर्ष बाद ही गुजरात में सरकार के प्रति असंतुष्टी की भावना उभकर सामने आ गई। गुजरात के ग्रामीण इलाकों में बसने वाले लोगों ने वर्ष 2015 में हुए जिला पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी को हराकर अपना गुस्सा दिखा दिया था। जिसके कारण पंचायत चुनावों के तहत ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को जबरदस्त नुकसान हुआ। इसका अंदाजा जिला पंचायत चुनाव के नतीजों से लगाया जा सकता है। वर्ष 2010 में हुए जिला पंचायत चुनाव में भाजपा के पास &1 में से 21 सीट थीं। जबकि कांग्रेस को केवल 2 सीट से ही संतोष करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुए। कांग्रेस ने रा’य के ग्रामीण इलाके की &1 जिला पंचायतों में 21 सीटों पर कब्जा किया, जबकि बीजेपी को केवल 6 सीट से ही संतोष करना पड़ा।
मोदी की सुनामी का नहीं हुआ असर
वर्ष 2014 की लोकसभा के चुनाव में जिस तरह मोदी की सुनामी ने बीजेपी को 277 सीट देकर रिकार्ड कायम कर दिया। लेकिन यह सुनामी का असर मोदी के गुजरात में ही देखने को नहीं मिला। लोकसभा चुनाव के बाद गुजरात में हुए पंचायत चुनाव में मोदी की सुनामी हवा हवाई हो गई। गुजरात में 2&0 तालुका पंचायतों में कुल 4778 सीटें थीं। वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने 2509 सीट जीत थी जबकि बीजेपी की झोली में केवल 1981 सीट ही मिली।
शहरों में बीजेपी की जीत
शहर में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज करते हुए सभी 6 नगर निगमों और 56 में से 40 नगर पालिकाओं पर कब्जा कर लिया था जबकि कांग्रेस को केवल 9 ही सीट मिली थी। इसके बाद भी कांग्रेस के लिए अ‘छी खबर यह रही की नगर निगमों के 2010 में हुए चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। बीजेपी के लिए सबसे शर्मनाक बात यह रही की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के गांव खरोड़ और उनके तालुका पंचायत बहुचराजी में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गृह जिलों में बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
तत्कालीन गणित में कांग्रेस आगे
वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव नतीजों का गणित बता रहा है विधानसभा सीटों के लिहाज से अगर इन परिणाम को देखा जाए तो 182 विधानसभा क्षेत्रों में से 90 पर कांग्रेस को बढ़त मिली है, जबकि बीजेपी 72 सीटों आगे रही है। फिलहाल बीजेपी के पास 116 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 60। गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए खुशखबरी भले ले आए थे लेकिन इसका श्रेय रा’य में हार्दिक पटेल की अगुआई में हुए पटेल आंदोलन को अधिक मिला था। पटेल आंदोलन का ही असर है जिसके कारण ग्रामीण इलाकों के साथ ही बड़े शहरों में भी कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है था।