Edited By ,Updated: 18 Mar, 2017 05:20 PM
बिहार विधान परिषद के सभापति पद को लेकर आरजेडी और जेडीयू के बीच फिर तकरार देखने काे मिल रही है।
नई दिल्ली: बिहार विधान परिषद के सभापति पद को लेकर आरजेडी और जेडीयू के बीच फिर तकरार देखने काे मिल रही है। एक तरफ जहां लालू यादव इस पद पर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बैठाना चाहते हैं , वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूदा सभापति अवधेश नारायण सिंह के साथ हैं। अवधेश नारायण सिंह बीजेपी के विधान पार्षद हैं, लेकिन चुनाव में नीतीश कुमार ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा। अब इस मुद्दे को लेकर आरजेडी और जेडीयू के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है। यदि आंकड़ों काे देखें ताे अगर जेडीयू अवधेश नारायण सिंह को समर्थन देता है, तो उनका फिर से सभापति बनना तय है। 76 सदस्यों की विधानपरिषद में सबसे ज्यादा 30 सीट जेडीयू के पास है, जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी के पास 23 सीट हैं। एेसे में अगर दोनों मिल जाएं तो 53 का अांकड़ा बनता है। जबकि अवधेश नारायण सिंह को सभापति पद के लिए केवल 39 का अांकड़ा चाहिए।
नीतीश के अपने सियासी समीकरण
इसके साथ ही बीजेपी विधानपरिषद चुनाव में अवधेश नारायण सिंह के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने के नीतीश के फैसले से काफी खुश है, क्योंकि नीतीश कुमार के इस फैसले की वजह से विधानपरिषद के 4 सीटों के चुनाव में 2 पर जेडीयू की जीत हुई, जबकि 2 सीट बीजेपी के हिस्से में गई है। नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में शामिल कांग्रेस और आरजेडी के हिस्से में एक भी सीट नहीं आई। लालू इस हार की कसर राबड़ी देवी को विधानपरिषद का सभापति बनाकर पूरा करना चाहते हैं, परंतु नीतीश के अपने सियासी समीकरण हैं। एेसे में देखना हाेगा कि गेंद किसके पाले में जाती है।