B'day special:पीएम इन वेटिंग से प्रेसिडेंट इन वेटिंग तक आडवाणी, मोदी ने छोड़ी थी उनके लिए कुर्सी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 03:26 PM

lal krishan advani 90th birthday today

भाजपा के वरिष्ठ नेता और भीष्मपितामह कहे जाने वाले देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणीआज अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आडवाणी को जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी हैं। आडवाणी के बिना भाजपा की कल्पना नहीं की जा सकती।...

नेशनल डैस्कः भाजपा के वरिष्ठ नेता और भीष्मपितामह कहे जाने वाले देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणीआज अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आडवाणी को जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी हैं। आडवाणी के बिना भाजपा की कल्पना नहीं की जा सकती। आडवाणी ने ही पार्टी को खड़ा किया और उन्होंने ही चुनाव चिन्ह की कल्पना की थी। उन्होंने चुनाव चिन्ह के रूप में कमल का फूल चुना था।

आडवाणी ने सुझाया था पार्टी का चुनाव चिन्ह
आपातकाल के बाद जब केन्द्र में जनता पार्टी की संयुक्त सरकार बनी थी उस वक्त उसमें जनसंघ के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे लेकिन उन्होंने तब महसूस किया कि कई नेता जनसंघ को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इस पर अटल जी ने आडवाणी से बात की और नई पार्टी बनाने का आग्रह किया। इस पर आडवाणी के कंधों पर पार्टी बनाने से लेकर उसके चुनाव चिन्ह की जिम्मेदारी आई जिसको उन्होंने बाखूबी निभाया।
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अविभाजित भारत में हुआ आडवाणी का जन्म
आडवाणी वह भारतीय राजनेता हैं जिनका जन्म अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में 8 नवंबर 1927 को कृष्णचंद डी आडवाणी और ज्ञानी देवी के घर हुआ था। 25 फरवरी 1965 को आडवाणी ने कमला आडवाणी से विवाह किया। आडवाणी के दो बच्चे हैं।
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राजनीतिक सफर
1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की थी। तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। साल 1980 में भाजपा की स्थापना के बाद से 1986 तक आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने संभाला। इसी दौरान वर्ष 1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन इस यात्रा ने उनका राजनीतिक कद काफी बढ़ा दिया। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है। 1998 से लेकर 2004 तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में गृहमंत्री थे। आडवाणी भाजपा के सह-संस्थापक और वरिष्ठ राजनेता हैं जो 10वीं और 14वीं लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे। राजनीति के शिखर पर पहुंचे आडवाणी को साल 2015 देश के दूसरे सबसे बड़े सिविलयन अवॉर्ड पदम विभूषण से सम्मानित किया गया।
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पीएम इन वेटिंग से प्रेसिडेंट इन वेटिंग
जनवरी 2008 में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने लोकसभा चुनावों को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी लेकिन कांग्रेस फिर सत्ता में आई और उनका सपना अधूरा रह गया। उसके बाद 2014 में एक बार फिर आडवाणी को पार्टी के कई नेता पीएम बनाने के पक्ष में थे लेकिन तब तक गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा पार्टी आगे कर चुकी थी और मोदी की वजह से पार्टी को जोरदार समर्थन मिला। भाजपा ने 2014 में भारी बहुमत से जीत हासिल की। हालांकि आडवाणी मोदी को पीएम बनाए जाने से काफी खिन्न हुए और काफी समय तक पार्टी से नाराज दिखे लेकिन मोदी ने कभी उनको अनदेखा नहीं किया और हमेशा उन्हें पार्टी का कर्णधार ही कहा। हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी आडवाणी के नाम की चर्चा हुई। माना जा रहा था कि रूठे हुए आडवाणी को मोदी राष्ट्रपति बनाकर गुरुदक्षिणा देंगे लेकिन ऐसे नहीं हुआ। भाजपा ने रामनाथ कोविंद का नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए चुना और उन्होंने जीत भी हासिल की।

 

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जब आडवाणी के लिए मोदी ने छोड़ी कुर्सी
पिथले साल 8 नवंबर को 500, 1000 रुपए के नोट बंद करने के ऐलान के बाद भाजपा ने संसदीय बोर्ड की बैठक की थी। इस बैठक में पार्टी के सभी वरिष्‍ठ नेता व केंद्रीय मंत्री माैजूद रहे। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह एक साथ बैठे थे। पीएम के बगल वाली कुर्सी खाली थी। कुछ देर बाद भाजपा के लौहपुरुष आडवाणी बैठक में हिस्‍सा लेने पहुंचे। उनको आता देख जेटली और नायडू बैठे रहे लेकिन मोदी अपनी कुर्सी से खड़े हो गए और अपने पास वाली खाली कर्सी पर बैठने के लिए उनको बुलाया। तब आडवाणी बैठक के दौरान पीएम मोदी की बगल वाली कुर्सी पर बैठे रहे।

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