अगर किसी को पता होता जिन्ना का यह राज तो नहीं होता भारत-पाकिस्तान का बंटवारा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 04:21 PM

muhammad ali jinnah was suffering with tb

मोहम्मद अली जिन्ना की एक जिद्द के चलते हिंदोस्तान के दो टुकड़े हो गए थे लेकिन अगर उनके एक राज पर से पर्दा उठ जाता तो भारत-पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटने से बच जाता।

नई दिल्ली: मोहम्मद अली जिन्ना की एक जिद्द के चलते हिंदोस्तान के दो टुकड़े हो गए थे लेकिन अगर उनके एक राज पर से पर्दा उठ जाता तो भारत-पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटने से बच जाता। पाकिस्तान हर साल 11 सितंबर को अपने संस्थापक जिन्ना की पुण्यतिथि मनाता है। पाकिस्तान का निर्माण उनका सपना था लेकिन वे अपने सपनों के पाकिस्तान में सिर्फ 13 महीने ही रह सके। 11 सितंबर, 1948 को जिन्ना का 72 साल की उम्र में निधन हो गया था। उनको टीबी हो गई थी और कुछ चुनिंदा लोगों डॉक्टर जाल आर. पटेल और उनकी बहन फातिमा को ही पता उनकी इस गंभीर बीमारी के बारे में।

फ्रांसीसी पत्रकार डोमिनीक लापिएर और अमेरिकी लेखक लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ ने लिखा कि ‘जिन्ना जानते थे कि अगर उनके हिन्दू दुश्मन को पता चल गया कि वे मरने वाले हैं तो उनका पूरा राजनीतिक दृष्टिकोण बदल जाएगा और वे उनके कब्र में पहुंचने का इंतजार करेंगे और फिर मुस्लिम लीग के नेतृत्व में नीचे के ज्यादा नरम नेताओं के साथ समझौता करके पाकिस्तान अलग देश के सपने की धज्जियां उड़ा देंगे।

तो टल सकता था विभाजन
अप्रैल, 1947 में लुई माउंटबेटन, जवाहरलाल नेहरू या महात्मा गांधी को जिन्ना की बीमारी का रहसेय पता होता तो विभाजन का खतरा टल सकता था। यहां तक की अंग्रेजों तक को इसका पता नहीं था और न ही जिन्ना की बेटी को इसकी भनक लगी।
PunjabKesari
मौत के बाद पता चला बेटी को पिता की बीमारी का
जिन्ना की बेटी मिसेज वाडिया ने दिसंबर, 1973 में फ्रीडम एट मिड नाइट के लेखकों को एक साक्षात्कार के दौरान बताया था कि उन्हें जिन्ना की बीमारी का पता उनके मरने के बाद चला। जिन्ना ने यह भेद अपनी बहन फातिमा को बता दिया था लेकिन वे उसे न तो किसी को बताने देते थे और न ही किसी की मदद लेते थे।

पता होती जिन्ना की बीमारी तो तस्वीर कुछ और होती
भारत के अंतिम वायसराय लुई माउंटबेटन को ब्रिटिश सरकार की ओर से जो हिदायतें दी गई थीं, उनमें इस बात की ओर कोई संकेत नहीं किया गया था कि जिन्ना बहुत जल्दी मरने वाले हैं। जिन्ना के मरने के 25 साल बाद माउंटबेटन ने कहा कि यदि उन्हें यह बात उस समय मालूम होती तो वे भारत में अलग ही तरह से काम करते।

जब बीच रास्ते में जिन्ना को ट्रेन से उतरना पड़ा
मई, 1946 के अंत में शिमला में जिन्ना पर फिर ब्रांकाइटिस का दौरा पड़ा। जिन्ना की हमदर्द बहन फातिमा ने उन्हें तुरंत बंबई की गाड़ी में बैठा दिया लेकिन रास्ते में उनकी हालत खराब हो गई। डॉ. पटेल को फौरन बुलाया गया। बंबई पहुंचने से पहले ही पटेल उनके डिब्बे में घुसे और उन्हें एक छोटे से स्टेशन पर उतारकर सीधे अस्पताल ले जाने की सलाह दी। तब यह राज उसी अस्पताल में दफन कर दिया गया कि जिन्ना गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!