डोकलाम पर नया खुलासा: युद्ध के मूड में था चीन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 04:34 PM

new disclosure on dokalam  china was in the mood of war

डोकलाम विवाद अब भले ही सुलझ चुका है और भारत-चीन अपने कड़वाहट भरे रिश्ते को पीछे छोड़ आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन उस समय चीन युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार था।

नई दिल्ली/बीजिंग: डोकलाम विवाद अब भले ही सुलझ चुका है और भारत-चीन अपने कड़वाहट भरे रिश्ते को पीछे छोड़ आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन उस समय चीन युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार था। चीन ने 12 हजार सैनिक, 150 टैंक और आर्टिलरी बंदूकें चुम्बी घाटी में तैनात कर रखी थीं। इन सभी बातों का खुलासा हुआ है नितिन गोखले की किताब 'सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वेः पठानकोट, सर्जिकल स्ट्राइक एंड मोर' में। किताब में दावा किया गया है कि डोकलाम विवाद शुरू होने से करीब 1 महीने पहले ही चीन ने सिक्किम के चुंबी घाटी के करीब अपनी सेना तैनात कर दी थी। चीन युद्ध के पूरे मूड में था।

डोकलाम की तस्वीरें भी किताब में
किताब में मानवरहित विमानों (UAV) के जरिये ली गई डोकलाम की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं, जिससे पता चलता है कि यहां मई के तीसरे हफ्ते में ही तनाव शुरू हो गया था लेकिन चीन ने 26 जून को इसका सार्वजनिक ऐलान किया। डोकलाम विवाद करीब 73 दिनों बाद ही सुलझा।
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मोदी-डोभाल का बयान
किताब में डोकलाम विवाद के हर घटनाक्रम की जानकारी के साथ ही भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, सेना के वरिष्ठ अफसरों और नरेंद्र मोदी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान भी हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो चीन ने भारत के सिक्किम के सामने स्थित अपनी चौकी पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी जिसके बाद भारतीय सेना ने भी सैनिकों की संख्या बढ़ा दी थी।
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डोकलाम का घटनाक्रम
किताब के अनुसार जहां दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने थे वहां चीनी लाउडस्पीकर लगाकर बार-बार 1962 के युद्ध के सबक की बात दोहरा रहे थे।

-चीनियों ने अपने बचाव के लिए पत्थर और मिट्टी से अस्थायी निर्माण भी करना शुरू कर दिया था। चीनियों ने अपने पहाड़ी इलाके में बारूद का प्रयोग करके कुछ इलाकों को सड़क यातायात लायक भी बनाया।

-किताब में दोनों देशों के सैनिकों को बिल्कुल आमने-सामने खड़ा देखा जा सकता है। मामूली झड़प के बाद दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी पोस्ट पर लौट गए। दोनों देशों के बीच दूसरी झड़प पांच जून को हुई।

-शुरुआत चीनी सैनिकों ने की जब वो भूटानी सैनिकों को जबरदस्ती हटाने लगे और उन्हें धमकी देने लगे। नई दिल्ली को इसकी खबर मिली तो भारतीय सेना ने हस्तक्षेप का फैसला किया।

-16 जून की सुबह चीनी सेना ने अपने नौ भारी गाड़ियों और एक चीनी सेना की गाड़ी के अलावा सड़क बनाने से जुड़े साजो-सामान वहां भेजे। किताब के अनुसार उस दिन सुबह 7.50 से 10.10 तक भारतीय और चीनी सैनिकों में इस पर बात हुई।

-दोपहर 12.51 से 1.31 बजे तक आठ भूटानी सैनिकों के पेट्रोल ने चीनियों से बात की। किताब के अनुसार भारत ने लाउडस्पीकर से सड़क निर्माण रोकने की अपील की लेकिन चीनी नहीं माने। 18 जून को चीनियों ने फिर से सड़क बनानी शुरू कर दी। भारतीय सेना ने चार बार उनके काम रोकने के लिए कहा लेकिन वो नहीं रुके।


-भारतीय सैनिकों ने ऊपर तक बात पहुंचाई। नई दिल्ली से चीनियो को रोकने का आदेश आया। किताब के अनुसार भारतीय सैनिकों ने मानव-श्रृंखला बनाकर चीनियों को रोक दिया। उसी दिन 150 चीनियों ने भी भारतीयों के सामने ही मानव-श्रृंखला बना ली। ये विवाद अगले 73 दिनों तक जारी रहा।

-28 अगस्त को दोनों देशों के बीच अंतिम सहमति बनी। 7 सितंबर को दोनों देशो के सैनिक 150 मीर पीछे हट गए। इस किताब का लोकार्पण उप-राष्ट्रपति शुक्रवार (29 सितंबर) को नई दिल्ली में करेंगे लेकिन उससे पहले इंडियन एक्सप्रेस को विशेष तौर पर इस किताब का एक अध्याय प्राप्त हुआ है जिसमें इन सारी बातों का जिक्र है।

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