SC ने मीडिया को लगाई फटकार, कहा- जिम्मेदारी से करें काम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Mar, 2018 08:38 PM

sc blames media

उच्चतम न्यायालय ने आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के मामले को लेकर मीडिया की जमकर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि हम प्रेस की आजादी का सम्मान करते हैं पर उसे भी जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। कई बार मीडिया ऐसी बातें लिख देती है...

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के मामले को लेकर मीडिया की जमकर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि हम प्रेस की आजादी का सम्मान करते हैं पर उसे भी जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। कई बार मीडिया ऐसी बातें लिख देती है जिससे कोर्ट की अवमानना होती है। 

उच्चतम न्यायालय ने जय शाह द्वारा न्यूज पोर्टल द वायर और उसके पत्रकारों के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत पर 12 अप्रैल तक कार्यवाही नहीं करने का आज गुजरात की एक निचली अदालत को निर्देश दिया। केस की सुनवाई ​के दौरान मिश्रा ने मीडिया, विशेषकर टीवी चैनलों और न्यूज पोर्टल से सवाल किया कि क्या कोई सरकारी सार्वजनिक दायरे में उपलब्ध किसी चीज को दुबारा पेश कर सकता है और उसमें कुछ अपमानजनक जोड़ सकता है। क्या इस तरह के संकेत बचाव के लिए है या स्वतंत्रता के लिए। 

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं चैनलों के नाम नहीं लेना चाहता परंतु कुछ लोग सोचते हैं कि वे पोप के सिंहासन पर बैठे हैं और फैसले सुना रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ भी इस खंडपीठ में शामिल थे। पीठ ने शाह और उन अन्य सह याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किये जिन्होंने न्यूज पोर्टल और लेखिका रोहिणी सिंह सहित उसके पत्रकारों के खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की थी। पीठ ने उन्हें दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।  

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही पोर्टल और पत्रकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस लेख में रिकार्ड से प्राप्त विस्तृत विवरण है जो सार्वजनिक दायरे में है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से देश में पत्रकारिता का गला घोंटा जा रहा है। एक पत्रकार को यह पूछने का अधिकार नहीं है कि किस तरह से लाभ 80 करोड़ रूपए तक हो गया। साथ ही उन्होंने कहा कि पत्रकारिता किस तरह पनपेगी। पीठ ने कहा कि इसमें दो मुद्दे हैं क्या लेख में अतिरिक्त जोड़े गये तथ्य मानहानिकारक हैं या नहीं और क्याउन संपादकों को, जो लेख का हिस्सा नहीं हैं, पक्षकार नहीं बनाया जाना चाहिए।     

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