Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Mar, 2018 02:04 PM
इस बार पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनो के लिए आन बान शान का सवाल बने हुए है। त्रिपुरा में 60 विधानसभा सीटों में से 59 सीटों पर इस बार चुनाव हुए है। एग्जिट पोल्स के अनुमान के अनुसार त्रिपुरा में बीजेपी-आईपीएफटी के गठबंधन को 35 से...
नई दिल्ली: इस बार पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनो के लिए आन बान शान का सवाल बने हुए है। त्रिपुरा में 60 विधानसभा सीटों में से 59 सीटों पर इस बार चुनाव हुए है। एग्जिट पोल्स के अनुमान के अनुसार त्रिपुरा में बीजेपी-आईपीएफटी के गठबंधन को 35 से 45 सीटों पर जीत मिल सकती है और इनका वोट शेयर 51 प्रतिशत होगा। अब सवाल ये है कि अगर त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार बनती है तो सरकार की ओर से राज्य में मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा।
बिप्लव कुमार देब
शुरुआत में बीजेपी ने त्रिपुरा प्रदेश अध्यक्ष बिप्लव कुमार देब को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार बना दिया था लेकिन बाद में फैसला लिया गया कि पार्टी के नाम पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। बता दें कि बिप्लव कुमार देब पहले आरएसएस के कार्यकर्ता थे। 15 साल पहले जब सुनील देवधर ने राज्य में पार्टी अध्यक्ष की कमान संभाली उस वक्त ही वो त्रिपुरा वापस आए थे।
जिश्नु देब बर्मन
त्रिपुरा के माणिक्या राजघराने से संबंध रखने वाले जिश्नु देब बर्मन मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार है। देब बीजेपी के जनजाति मोर्ची के अध्यक्ष हैं।
हिमंत बिस्व सरमा
हिमंत बिस्व सरमा ने अपने राजनीतिक सफर में कई पार्टियां बदली। अपनी राजनीति की शुरूआत उन्होंने असम स्टूडेंट्स यूनिय से की थी। इसके बाद वो असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री हित्शेवर सैकिया से प्रभावित हुए जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस के साथ जुड़ गए। वो साल 1993 में पार्टी में शामिल हुए थे और साल 1996 से लगातार वह जलुकबरी विधानसभा से चुनाव लड़ते रहे हैं। इसके बाद साल 2006 में वो रुण गोगोई के साथ हो गए और उनके राइट हैंड बन गए थे। वो उस वक्त उनके लिए चुनाव का मैनेजमेंट देखते थे।
ये किए है बीजेपी ने वादे
बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दैरान वादा किया है कि अगर वो सत्ता में आती है तो मजदूरों को केंद्र के रेट पर न्यूनतम मजदूरी दी जाएगी और राज्य के कर्मचारियों को सातवे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सैलरी दी जाएगी।