सिंधु समझौते रद्द नहीं कर सकता भारत, चीन अटका सकता है राेड़ा!

Edited By ,Updated: 24 Sep, 2016 03:20 PM

while raising indus india mustnt forget china

उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सिंधु जल समझौते का सहारा लिया है। भारत की तरफ से इस समझौते को रद्द करने के संकेत दिए गए हैं।

नई दिल्लीः उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सिंधु जल समझौते का सहारा लिया है। भारत की तरफ से इस समझौते को रद्द करने के संकेत दिए गए हैं। हालांकि ऐसा करना इतना आसान नहीं है। दरअसल, भारत, पाकिस्तान के अलावा इस समझौते के दूसरे हिस्सेदार भी हैं, जिनमें चीन, नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश शामिल है। एेसे में भारत की तरफ से उठाया गया कोई भी एकतरफा कदम पड़ोसी देशाें के साथ जल बंटवारे की व्यवस्था को प्रभावित करेगा।

नहीं उठा सकता एकतरफा कदम 
भारत ने सिंधु जल समझौते के जैसा ही एक प्रस्ताव चीन को भी दिया है। इस प्रस्ताव में चीन ऊपरी नदी तट राज्य जबकि भारत निचला नदी तट राज्य है। निचले नदी तट राज्य के रूप में भारत चीन के साथ जल समझौता सुनिश्चित करना चाहता है। इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में भारत सिंधु जल समझौते के निचले नदी तट राज्य पाकिस्तान के खिलाफ एकतरफा कदम उठाने के बारे में नहीं सोच सकता।

चीन खड़ी कर सकता है ये मुश्किल
उड़ी हमले के बाद उपजे तनाव के मद्देनजर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सार्वजनिक रूप से सिंधु जल समझौते को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि यह एक तरफा मामला नहीं हो सकता। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर ऊपरी तट नदी राज्य की स्थिति में है। ऐसी स्थिति में चीन सैद्धांतिक रूप से कभी भी हाइड्रोलॉजिकल सूचनाएं रोकने के अलावा नीचे की तरफ नदी के बहाव में अवरोध खड़ा कर सकता है। चीन को लेकर ज्यादा डर इसलिए भी है क्योंकि पहले भी यह मुल्क अपने हाइड्रोप्रॉजेक्ट्स की जानकारी भारत के साथ साझा करने से इंकार कर चुका है। जब कभी जानकारी दी भी है, तो गलत दी है।

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