शादी के 10 दिन पहले विक्रम ने पिया था शहादत का जाम

Edited By ,Updated: 28 Jan, 2015 01:56 AM

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जब भी किसी दुश्मन की नापाक दृष्टि भारत मां के पाक दामन पर पड़ी तब देश के जांबाज सैनिकों ने उनके कुत्सित

दीनानगर(कपूर): जब भी किसी दुश्मन की नापाक दृष्टि भारत मां के पाक दामन पर पड़ी तब देश के जांबाज सैनिकों ने उनके कुत्सित इरादों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर भारत माता की शान को बरकरार रखा। शहीदों की इसी शृंखला में एक नाम है गांव मराड़ा के लांस नायक शहीद विक्रम दत्त का, जिसने 30 वर्ष की अल्पायु में जम्मू-कश्मीर में अपनी कत्र्तव्य परायणता की अद्भुत मिसाल पेश की। 
 
इस वीर योद्धा के जीवन संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि इनका जन्म 4 मई, 1977 को गांव मराड़ा में पिता किशन चंद व माता सोमा देवी के घर हुआ। गांव के सरकारी हाई स्कूल में दसवीं पास करने के बाद दिसम्बर 1977 को वह भारतीय सेना की 235 बंगाल इंजीनियर यूनिट में भर्ती होकर देश सेवा में जुट गया।  27 जनवरी, 2007 को जब उनकी यूनिट जम्मू-कश्मीर के लेह क्षेत्र की एक अग्रिम चौकी पर तैनात थी तो पाक सेना की ओर से की गई गोलाबारी से लांस नायक विक्रम दत्त गंभीर रूप से घायल हो गया। जख्मों का ताव न सहते हुए यह जांबाज बर्फीली चोटियों पर देशवासियों को अंतिम सलाम कह हमेशा के लिए भारत मां की गोद में सो गया। 
 
शहीद विक्रम दत्त की शहादत के 10 दिनों के बाद ही उसकी शादी तय थी। मां घर पर सेहरे की लडिय़ां बुन रही थी, लेकिन मां-बाप के अरमानों की परवाह किए बिना इस रणबांकुरे ने वीरगति को दुल्हन के रूप में गले लगा लिया। इस शहीद की शहादत को नमन करने के लिए गांव मराड़ा के सरकारी सी.सै. स्कूल में 28 जनवरी को श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जा रहा है।

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