साधारण टैलीस्कोप से खोजा क्षुद्रग्रह

Edited By ,Updated: 22 Feb, 2015 03:07 PM

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28 सितम्बर, 2009 की रात को जर्मन शहर बवेरिया का आसमान एकदम साफ था । इसी रात मेडब्रोन कस्बे के बर्नहार्ड हस्लर अपने घर ..

28 सितम्बर, 2009 की रात को जर्मन शहर बवेरिया का आसमान एकदम साफ था । इसी रात मेडब्रोन कस्बे के बर्नहार्ड हस्लर अपने घर की छत पर लगे टैलीस्कोप से रात्रिकालीन आकाश को निहार रहे थे । इसी रात उन्होंने एक अत्यधिक विशिष्ट खगोलीय खोज की - उन्होंने एक नई क्षुद्रग्रह या ग्रहिका का पता लगाया जिसका नामकरण हाल ही में उनके कस्बे के नाम पर हुआ है । करीब 20 वर्ष पूर्व खरीदे अपने साधारण से टैलीस्कोप को बर्नहार्ड ने अपने घर की छत पर स्थापित किया हुआ है ।

इस शौकिया खगोलशास्त्री ने जिस क्षुद्रग्रह की खोज की है उसका व्यास 1.7 किलोमीटर चौड़ा है और मंगल एवं बृहस्पति ग्रहों के बीच सूर्य की परिक्रमा कर रहा है । क्षुद्रग्रह सौरमंडल में विचरण करने वाले वे खगोलीय पिंड हैं जो आकार में ग्रहों से छोटे परंतु उल्का पिंडों से बड़े होते हैं । इसी वर्ष बर्नहार्ड के खोजे क्षुद्रग्रह का नामकरण 1000 निवासियों वाले उनके कस्बे के नाम पर ‘410928 मेडबोर्न’ किया गया है ।

अब 57 वर्ष के हो चुके बर्नहार्ड को 4 वर्ष की उम्र से ही आकाश में तारों को निहारना बड़ा लुभाता था । रात के वक्त आसमान साफ हो तो वह अपने टैलीस्कोप तथा एक स्पैशल वीडियो कैमरे की मदद से अढ़ाई घंटों तक विशालकाय अंतरिक्ष के एक छोटे से हिस्से की पड़ताल करते हैं । अगली सुबह वह रात को रिकॉर्ड वीडियोज की हाई स्पीड पर  समीक्षा करते हैं । इस तकनीक को ‘ब्लिंकिंग’ कहते हैं । इस दौरान कम्प्यूटर की स्क्रीन पर तेजी से हिलती तस्वीरें देख कर लगता है जैसे बर्फ के फाहे धीमी गति से गिर रहे हों परंतु बर्नहार्ड जैसे विशेषज्ञ विभिन्न खगोलीय पिंडों या सितारों की किसी भी असामान्य गतिविधि को पहचान लेने के लिए स्वयं को अभ्यस्त बना लेते हैं । करीब 2 मिलीमीटर लम्बी एक पट्टी वीडियो में थोड़ी-सी देर के लिए दिखाई देती है जिसे ‘ब्लिंक’ कहते हैं ।

गर्व से भरे हुए बर्नहार्ड कहते हैं, ‘‘क्षुद्रग्रह ‘410928 मेडबोर्न’ की वह मेरी पहली रिकॉडिंग थी ।’’अपनी इस खोज के लिए आधिकारिक मान्यता हेतु बर्नहार्ड को पूरे 4 वर्ष प्रतीक्षा करनी पड़ी । इंटरनैशनल एस्ट्रोनोमिकल यूनियन के नियम बेहद सख्त हैं जिसके तहत किसी भी खगोलीय पिंड का 2 बार स्पष्ट रूप से दिखाई देना जरूरी है । 2 बार दिखाई देने से इसके पथ का आकलन करना सम्भव हो जाता है जो किसी क्षुद्रग्रह की अपनी एक अलग पहचान होता है । आंकड़ों को खंगाला जाता है कि उक्त पिंड को क्या इससे पहले भी किसी ने देखा या इसके बारे में सूचना दी थी । 

जानकारों के अनुसार अपने अत्याधुनिक उपकरणों की वजह से सभी नई खगोलीय खोजें वेधशालाएं कर रही हैं । करीब 5 हजार नए खगोलीय पिडों की खोज हर महीने हो रही है । ऐसे में बर्नहार्ड द्वारा एक क्षुद्रग्रह की खोज उनकी किस्मत तथा एक अपवाद कही जा सकती है । हालांकि बर्नहार्ड के अनुसार आपमें सच्ची लगन है तो आप सीमित संसाधनों के साथ भी कोई बड़ी खोज कर सकते हैं ।

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