भूत-प्रेत बाधा से हैं परेशान तो आपके घर में ही है इसका समाधान

Edited By ,Updated: 26 Mar, 2015 01:42 PM

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हमारे देश में निकलने वाले वह धार्मिक जुलूस जिनमें महिलाएं सिर पर पानी से भरा कलश लेकर चलती हैं, उसमें कभी-कभी ऐसे नजारे देखने को मिलते हैं कि अचानक जुलूस में चल रही कोई महिला जोर-जोर से हिलने लगती है, अपने बाल खोल देती है, बड़बड़ाने या चिल्लाने लगती...

हमारे देश में निकलने वाले वह धार्मिक जुलूस जिनमें महिलाएं सिर पर पानी से भरा कलश लेकर चलती हैं, उसमें कभी-कभी ऐसे नजारे देखने को मिलते हैं कि अचानक जुलूस में चल रही कोई महिला जोर-जोर से हिलने लगती है, अपने बाल खोल देती है, बड़बड़ाने या चिल्लाने लगती है तो और कई बार जमीन पर लेट जाती है, ऐसे में उसे अपने अस्त-व्यस्त हुए कपड़ों का भी भान तक नहीं रहता।

इस प्रकार की असामान्य हरकतें करने वाली महिला को देखकर उसके आस-पास चल रहे लोग यह मानते हैं कि उसके शरीर में देवी का प्रवेश हो गया है या प्रेत-बाधा जिसे ऊपरी बाधा भी कहते हैं उस पर सवार हो गई है। इसी प्रकार रोजमर्रा के जीवन में ऐसा भी देखने में आता है कि कोई युवक जोर-जोर से चिखता-चिल्लाता है, इधर-उधर भागता फिरता है, वस्तुएं उठाकर इधर-उधर फेंकने लगता है तब भी लोग ऐसा ही कुछ कहते हैं कि उसे प्रेत ने पकड़ लिया है या उस पर जिन्न सवार हो गया है। 

सामान्यतः ऐसे दृश्य भारत के शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों में ही ज्यादा देखने को मिलते हैं। शहरों में भी गरीब व पिछड़ी बस्तियों में ही ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं जहां शिक्षा का अभाव रहता है।

जिस परिवार का कोई सदस्य ऐसी हरकतें करता है तो उसके परिवार के बाकी सभी सदस्य परेशान हो जाते हैं और इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए तांत्रिक, मौलवी और ओझा इत्यादि के पास जाते हैं। इसी के साथ भारत में तो कई स्थान इस बात के लिए ही प्रसिद्ध हैं कि वहां पर इस प्रकार की प्रेत बाधाओं से पीडि़त व्यक्तियों का इलाज किया जाता है, जैसे- मध्यप्रदेश में जावरा की हुसैन टेकरी, राजस्थान के मेंहदीपुर बालाजी, पंजाब में डेरा बड़भाग सिंह इत्यादि।

भूत-प्रेत, चुडै़ल, जिन्न इत्यादि से पीडि़त स्त्री-पुरुष दो प्रकार के होते हैं। एक तो वह जिन्हें मानसिक रोगों के कारण यह परेशानी होती है और दूसरे वह जो जानबूझकर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए इस प्रकार की हरकतें करते हैं। वास्तविकता यह है कि भूत-चूड़ैल तो मात्र बहाने हैं, जिससे कुछ स्त्री-पुरुष अपना मनोरथ पूरा करते हैं। स्त्रियां भूतबाधा के बहाने अपने मन में छिपी कुण्ठा निकाल लेती हैं, जैसे सबके सामने ऊंचा बोलना, खुलकर हाथ-पैर फेंकना। पुरुषों पर प्रेत-बाधा के कारण दूसरे हैं। वह प्रेत-बाधा के बहाने काम से बच जाते हैं। देखने में आया है कि गांव में बरसात के दिनों में या चैत्र के महीने में काम का जोर होता है, यही समय पुरुषों पर प्रेत-बाधा सवार होने का है।

भूत-प्रेत होते हैं या नहीं हम इस विवाद में नहीं पड़ते, परन्तु यह तय बात है कि जो लोग मनोरोगी, उन्मादी, विक्षिप्त अथवा किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी से परेशान हैं। इस परेशानी में उनके घरों के वास्तुदोषों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है जो कि घर के नैऋत्य कोण में होता है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के नैऋत्य कोण (South West corner) में किसी भी प्रकार का गड्ढ़ा, भूमिगत पानी की टंकी, सैप्टिक टैंक, बेसमेंट या किसी भी तरह से नीचाई हो, नैऋत्य कोण के दक्षिण या पश्चिम भाग में बढ़ाव हो या नैऋत्य कोण कोण पर मार्ग प्रहार हो या द्वार हो इत्यादि। यदि किसी स्त्री को परेशानी है तो यह दोष घर के दक्षिण नैऋत्य में होगा और यदि घर में किसी पुरुष को ऐसी कोई परेशानी है तो घर के पश्चिम नैऋत्य में वास्तुदोष होगा।

यदि किसी घर में कोई मानसिक रोगी हो चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, जिसके बारे में यह भ्रम है कि उसे कोई प्रेत-बाधा है तो परिवार वालों को चाहिए कि उनका किसी योग्य डाक्टर से इलाज करवाएं। इसी के साथ इधर-उधर भटकने की बजाए घर के नैऋत्य कोण के वास्तुदोषों को दूर करें तो निश्चित ही मानसिक रोगी को लाभ होगा और भूत-प्रेत या ऊपरी बाधा होने का भ्रम या समस्या भी खत्म हो जाएगी और वह व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकेगा।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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