Edited By ,Updated: 26 Apr, 2015 10:30 PM
स्टैंडिंग डेस्क पर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी बैठकर पढऩे वाले विद्यार्थियों की अपेक्षा अधिक एकाग्रचित्त होते हैं। यह निष्कर्ष एक अध्ययन का है, जिससे पता चलता है कि खड़े होकर हम अधिक ...
न्यूयॉर्क: स्टैंडिंग डेस्क पर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी बैठकर पढऩे वाले विद्यार्थियों की अपेक्षा अधिक एकाग्रचित्त होते हैं। यह निष्कर्ष एक अध्ययन का है, जिससे पता चलता है कि खड़े होकर हम अधिक बेहतर तरीके से सोच सकते हैं। स्टैंडिंग डेस्क उस डेस्क को कहते हैं, जिसमें पास में ही बैठने के लिए एक स्टूल होता है, जहां लोग अपनी मर्जी से कभी बैठ सकें या खड़े हो सकें।
अमरीका के टेक्सास स्थित एएंडएम हेल्थ साइंस सेंटर स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में सहायक प्रोफेसर मार्क बेंडेन ने कहा, ‘‘खड़े होकर पढऩे की सुविधा वाली जगह भटकाव वाले व्यवहार को कम करती है और पढ़ाई संबंधी गतिविधियों में विद्यार्थियों की एकाग्रता बढ़ाती है। यह काम अलग तरीके से जैसे कि खड़े होकर काम करने का विकल्प देती है, जिसके कारण बैठकर पढऩे से पैदा होने वाली नीरसता टूटती है।’’
प्रोफेसर ने कहा, ‘‘शोध से पता चलता है कि पढ़ाई संबंधी गतिविधि विद्यार्थी की उपलब्धि में सर्वाधिक भूमिका निभाती है। सरल शब्दों में कहा जाए, तो हम बैठने की अपेक्षा खड़े होकर बेहतर तरीके से सोच सकते हैं।’’ शोधार्थियों ने करीब एक साल तक दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा के 300 विद्यार्थियों पर शोध कर यह निष्कर्ष प्रस्तुत किया है।
शोधार्थियों के मुताबिक स्टैंडिंग डेस्क वाली कक्षाओं में पढ़ाई संबंधी गतिविधियों पर विद्यार्थियों का ध्यान 12 फीसदी अधिक रहा। जिसमें शामिल हैं सवालों के जवाब देना, हाथ उठाना, कक्षा की परिचर्चा में हिस्सा लेना और अन्य मौकों पर बातें करना। प्रोफेसर ने कहा कि स्टैंडिंग की सुविधा बनाकर स्कूल एक ही समय में दो समस्या दूर कर सकते हैं : शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर करना और विद्यार्थियों में मोटापा घटाना। यह शोध पत्र ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हेल्थे प्रमोशन एंड एजुकेशन’ में प्रकाशित हुआ है।