Edited By ,Updated: 22 May, 2015 08:46 AM
जो सब पापियों से भी ज्यादा पाप करने वाला है, वह भी पापरूपी समुद्र को ज्ञानरूपी नौका के जरिए निश्चित ही पार कर जाएगा। पापी लोग सोचते होंगे कि हमने तो जीवनभर पाप ही किए हैं, हम तो भगवान को पाकर मुक्त हो ही नहीं सकते। ऐसा सोचकर वे पाप कर्म करने में लगे...
जो सब पापियों से भी ज्यादा पाप करने वाला है, वह भी पापरूपी समुद्र को ज्ञानरूपी नौका के जरिए निश्चित ही पार कर जाएगा। पापी लोग सोचते होंगे कि हमने तो जीवनभर पाप ही किए हैं, हम तो भगवान को पाकर मुक्त हो ही नहीं सकते। ऐसा सोचकर वे पाप कर्म करने में लगे रहते हैं लेकिन भगवान तो बड़े दयालु हैं। उन्हें पाने की केवल यही शर्त होती है कि ‘जो भी मुझे सच्चे मन से याद करेगा वह मुझे पा लेगा। चाहे वह पापी ही क्यों न हो’।
इसलिए भगवान कहते हैं कि यदि किसी पापी ने भी गुरु से आत्मज्ञान प्राप्त करके, उस ज्ञान पर चलना शुरू कर दिया है तो मुश्किलें आसान हो जाएंगी।
किसी इंसान ने पहले कितने ही पापकर्म क्यों न किए हों और उसका मन पाप से भरा हुआ क्यों न हो, गुरु से मिले सच्चे ज्ञान के सहारे मन में पड़े हुए उन कर्मों का असर इंसान पर नहीं पड़ता।
वह पापी भी पाप के समुद्र से ज्ञान की नौका के जरिए बड़े आराम से पार हो जाता है। यह वैसा ही है कि जब इंसान नाव में बैठता है तो नीचे बहने वाला पानी गंदा हो या साफ, उसका असर इंसान पर नहीं पड़ता। इसी तरह पापी भी ज्ञान की नौका में बैठकर भव सागर से पार हो सकता है।