कम हो सकती है आपकी EMI

Edited By ,Updated: 26 May, 2015 10:16 AM

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भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) इस साल तीसरी बार दरों में कटौती कर सकता है। उम्मीद जताई जा रही है

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) इस साल तीसरी बार दरों में कटौती कर सकता है। उम्मीद जताई जा रही है कि आर.बी.आई. के गवर्नर रघुराम राजन 2 जून को मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान रेपो दर में 25 आधार अंक की कटौती कर सकते हैं। प्रतिभागियों की दलील है कि मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है और अब विकास को रफ्तार देने की जरूरत है, इसलिए केंद्रीय बैंक यह कदम उठा सकता है। आर.बी.आई. रेपो दर में इस साल 2 बार 25-25 आधार अंक की कटौती कर चुका है।

क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक और मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, ''मुद्रास्फीति आर.बी.आई. की उम्मीद से काफी कम है लेकिन निवेश चक्र और औद्योगिक उत्पादन में अब भी नरमी बनी हुई है। ऐसे में दरों में कटौती की संभावना है लेकिन दरों में कटौती का लाभ होना-न होना दूसरी बातों पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर बैंक उधार देने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं और उधार लेने की उनकी लागत कम होना आवश्यक है।''

अप्रैल में जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति दर घटकर 4.86 फीसदी रह गई, जो 4 माह का निचला स्तर है। आर.बी.आई. ने जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति को 6 फीसदी से नीचे और 2 साल की अवधि के दौरान 4 फीसदी के करीब लाने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष के पहले द्विवार्षिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान केंद्रीय बैंक ने रीपो दर को 7.50 फीसदी पर बरकरार रखा था और बैंकों पर उधारी दरों में कटौती का दबाव डाला था।

सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों के मुताबिक बेमौसम बारिश से कीमतें बढऩे की चिंता भी अब कम हो गई है, जिससे मौद्रिक नीति में नरमी की गुंजाइश बन रही है। एच.एस.बी.सी. सिक्योरिटीज और कैपिटल मार्कीट (भारत) के भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने अपने एक नोट में कहा है, ''मार्च में बेमौसम बारिश का असर महंगाई पर नहीं पड़ा और अप्रैल में भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में सालाना आधार पर कमी आई है।'' हालांकि 10 प्रतिभागियों में से 9 का मानना है कि आर.बी.आई. नकद आरक्षी अनुपात (सी.आर.आर.) में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा क्योंकि तरलता पर दबाव नहीं है। एक प्रतिभागी ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अभी सी.आर.आर. 4 फीसदी पर है।

वाणिज्यिक बैंकरों का कहना है कि रेपो दर घटने से ब्याज दरों में भी कटौती होना जरूरी नहीं है। हालांकि सी.आर.आर. में कटौती से बैंकों के पास उधारी दर कम करने की गुंजाइश होगी। बैंकर सी.आर.आर. में 50 आधार अंक कटौती की मांग कर रहे हैं, जिससे बैंकिंग तंत्र में करीब 40,000 करोड़ रुपए का प्रवाह हो सके।

ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि जून में दरों में कटौती इस वित्त वर्ष की अंतिम कटौती हो सकती है। आई.सी.आई.सी.आई. सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के मुख्य अर्थशास्त्री ए प्रसन्ना ने कहा, ''2 जून की संभावित कटौती के बाद हम इस वित्त वर्ष में रीपो में और कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे हैं क्योंकि मुद्रास्फीति में आगे इससे और ज्यादा गिरावट की उम्मीद नहीं है।''

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