मोदी सरकार! अब तो करो अमृतसर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्धार

Edited By ,Updated: 30 Jun, 2015 12:40 PM

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नरेंद्र मोदी सरकार का एक वर्ष बीतने पर जहां अच्छे दिनों के गुणगान गाएं जा रहे हैं किन्तु अमृतसर के अंतर्राष्ट्रीय...

अमृतसर(इन्द्रजीत): नरेंद्र मोदी सरकार का एक वर्ष बीतने पर जहां अच्छे दिनों के गुणगान गाएं जा रहे हैं किन्तु अमृतसर के अंतर्राष्ट्रीय श्री गुरु रामदास हवाई अड्डे के अच्छे दिन शायद आते दिखाई नहीं देते, क्योंकि एयरपोर्ट का कई वर्षों से चल रहा घाटा अभी भी ज्यों का त्यों खड़ा है।

इसमें यदि केंद्र सरकार को दोष दिया जाए तो पंजाब सरकार द्वारा पिछले समय दौरान पानी पी-पीकर केंद्र में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को कोसा जाता था, किन्तु अब मोदी सरकार के एक वर्ष के बाद भी अकाली सरकार ने अमृतसर हवाई अड्डे के लिए अपने दिल्ली गमन के उपरांत भी कुछ नहीं मांगा, जबकि पिछले समय में भी बादल सरकार ने हमेशा ही मोहाली व भटिंडा हवाई अड्डे के लिए ही गुहार लगाई और अब तो जालंधर में हवाई अड्डे की बात उठने लगी है, किन्तु केंद्र सरकार ने पिछले समय में भी बिना कुछ मांगें अमृतसर हवाई अड्डे को कई पेशकशें दी हैं।

 
किन्तु शायद अकाली सरकार ने उन्हें स्वीकार करना उचित नहीं समझा और बार-बार मोहाली हवाई अड्डे की ही दुहाई देती जा रही है, जबकि केंद्र में मोदी सरकार का एक वर्ष भी पूरा हो गया है, किन्तु बादल सरकार ने इस हवाई अड्डे के लिए न तो कोई पैकेज लिया न ही मांगा। यदि पिछला इतिहास देखें तो कहना गलत नहीं होगा कि बादल सरकार ने अमृतसर हवाई अड्डे के रनवे बनाने के लिए 45 एकड़ जमीन एयरपोर्ट को कई वर्ष उपलब्ध नहीं करवाई।
 
इस मामले में तत्कालीन एयरपोर्ट महानिदेशक अरुण तलवाड़ ने कहा था कि एयरपोर्ट अथॉरिटी अपने पास से पैसे देने को तैयार है किन्तु बादल सरकार जमीन उपलब्ध नहीं करवा रही। इसके उपरांत सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर हवाई अड्डे के सुधार हेतु राजनीति से ऊपर उठकर विपक्षी कांग्रेसी सरकार के मंत्रियों को विवश कर दिया था। इसमें अमृतसर हवाई अड्डे के लिए 22 उड़ानें उपलब्ध करवाई थीं, किन्तु ये उड़ाने भी एक-एक करके खत्म हो गईं, जबकि दूसरी ओर अमृतसर हवाई अड्डे से 3 इंटरनैशनल उड़ानें भी खत्म कर दी गईं। तत्कालीन विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अमृतसर हवाई अड्डे के लिए कई प्रकार के पैकेज ऑफर किए किन्तु बादल सरकार ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और अकाली सरकार के मंत्री अमृतसर में आयोजित समारोह में ही अमृतसर की बजाय मोहाली के लिए उड़ानें और पैकेज मांगते रहे। 
 
यहां तक कि अमृतसर हवाई अड्डे के लिए 45 एकड़ जमीन, जो मात्र 4 से 5 करोड़ में मिलती थी, के भुगतान में उदासीनता बरती गई, जबकि मोहाली एयरपोर्ट के लिए ली गई 470 करोड़ की अदायगी कुछ महीनों में ही कर दी गई। और-तो-और एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा स्वयं भुगतान करने की दलील पर तत्कालीन जिलाधीश को निर्देश मिलने के बावजूद भी यह जमीन काफी लम्बे समय तक एयरपोर्ट को नहीं दी गई और सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने इस मामले में अपनी ही सरकार के विरुद्ध आवाज उठाकर यह जमीन एयरपोर्ट को मुहैया करवाई।
 
जानकारी मुताबिक अमृतसर के हवाई अड्डे का जिस प्रकार वर्णन किया गया था, उसके अनुरूप न तो एयरपोर्ट को वे सुविधा मिलीं और न ही यात्रियों की संख्या में सुधार हुआ। उलटा हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय जो भी उड़ानें मिलीं, उनमें कारगो का लाभ भी दिल्ली को ही मिला, क्योंकि इस हवाई अड्डे के हित के चलते मोहाली हवाई अड्डे का उत्थान असंभव था, इसलिए इससे सौतेला व्यवहार किया गया।
 
लिहाजा पंजाब के अन्य शहरों से बाहर जाने वाले यात्री, जो अमृतसर हवाई अड्डे से जाते थे, सुविधाओं के अभाव में दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान पकड़ते रहे। अमृतसर का हवाई अड्डा सिर्फ हरिमंदिर साहिब के श्रद्धालुओं पर ही चलता है, जबकि अमृतसर शहर को व्यापारिक हब बनाने की सिद्धू की पेशकश और कोशिशें राजनीतिक आंधी में उड़ गईं। ऐसी परिस्थितियों में अमृतसर शहर से हवाई अड्डे तक 10 किलोमीटर लम्बी सड़क जिस पर बड़ी-बड़ी कंपनियों ने निर्माण कार्य लगाए थे और बड़ी इमारतें, मॉल, होटल यात्रियों का इंतजार करते थे, ठप्प होकर रह गए। 
 
जमीनों के भाव जो आसमान को छू रहे थे, अब गिरने लगे हैं। पंजाब वासियों का कहना है कि यदि पंजाब सरकार अमृतसर हवाई अड्डे के लिए कोई पैकेज मांगती है तो इससे न केवल अमृतसर अपितु पूरे पंजाब का लाभ हो सकता है, किन्तु शायद अमृतसर हवाई अड्डे के लिए अच्छे दिन आते दिखाई नहीं दे रहे। 

 

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