Edited By ,Updated: 01 Sep, 2015 12:27 PM
देश में किसी भी जाति के लोगों लिए विवाह का पंजीकरण करना आवश्यक होता है, लेकिन देश के कई राज्यों में कठोर कानून न होने से लोग पंजीकरण करना जरुरी नहीं समझते।
लखनऊ: देश में किसी भी जाति के लोगों लिए विवाह का पंजीकरण करना आवश्यक होता है, लेकिन देश के कई राज्यों में कठोर कानून न होने से लोग पंजीकरण करना जरुरी नहीं समझते। अब उत्तर प्रदेश सरकार इस ओर एक नई शुरुआत करते हुये देश के अन्य राज्यों की तरह यहां भी विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य करने जा रही है।
इसका प्रस्ताव तैयार हो गया है। जल्द ही इसे कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। इस प्रस्ताव को कुछ दिनों पहले ही मंत्रिमंडलीय समिति ने हरी झंडी दी है। प्रदेश में अब विवाह पंजीकरण के लिए 500 रुपए शुल्क लगेगा। दरअसल, देश के कई राज्यों राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, केरल व बिहार में विवाह पंजीकरण अनिवार्य है। इन राज्यों में पंजीकरण न कराने वालों से जुर्माना भी वसूला जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह अभी तक लागू नहीं हो सका है।
गौरतलब है कि कई पति अपनी पत्नी से हुई शादी से इन्कार कर देतें हैं। ऐसी परिस्थिति में पत्नी को उसका अधिकार दिलाने में और बच्चों की देखभाल के लिए अनुमति लेने और जायदाद का वारिस दिखाने में दिक्कत होती है। बहुत सी शादियां कोर्ट में न होकर धार्मिक रीति-रिवाज से पारंपरिक रीति से की जाती है। जिनका आधिकारिक रूप से कोई रिकॉर्ड नहीं होता क्योंकि बहुत से लोग विवाह का पंजीकरण करना जरुरी नहीं समझते।