बैंक 6 महीने में बैड लोन के 55 केस निपटाएं: RBI

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jun, 2017 12:34 PM

bank settlement of 55 cases of bad loans in 6 months  rbi

आर.बी.आई. ने बैंकों से कहा है कि वे बहुत ज्यादा बैड लोन वाले 55 मामलों का निपटारा 6 महीने के अंदर कर लें। आर.बी.आई. ने कहा है कि अगर बैंक ऐसा नहीं कर पाते हैं तो वह इन मामलों को नए इइ रेजल्यूशन मेकनिजम के लिए रेफर कर देगा।

नई दिल्लीः आर.बी.आई. ने बैंकों से कहा है कि वे बहुत ज्यादा बैड लोन वाले 55 मामलों का निपटारा 6 महीने के अंदर कर लें। आर.बी.आई. ने कहा है कि अगर बैंक ऐसा नहीं कर पाते हैं तो वह इन मामलों को नए इइ रेजल्यूशन मेकनिजम के लिए रेफर कर देगा। नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट के हाई लेवल तक पहुंच जाने की वजह से सरकार ने आर.बी.आर्इ. को ऐसा मेकनिजम बनाने के लिए कहा था। आर.बी.आई. ने इसी महीने इन्सॉल्वंसी रेजल्यूशन मेकनिज्म के लिए 12 ऐसे बड़े डिफॉल्टर्स की पहचान की थी। इनमें से हरेक पर 5,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन बकाया है। इनका कुल बकाया लोन बैंकों के टोटल एनपीए के 25 फीसदी के बराबर है।

एनपीए के इनसॉल्वंसी के लिए रेफर किए जाने के मामले में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आर.बी.आई. ने बैंकों से 55 एनपीए अकाऊंट का निपटारा 6 महीने के भीतर करने के लिए कहा है। बैंक ऐसा करने में नाकामयाब रहते हैं तो आर.बी.आई. उन मामलों की जांच करेगा और उनको इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत निपटारे के लिए रेफर कर देगा। आर.बी.आई. का मानना है कि बैंकों को इन मामलों में एनपीए रेजल्यूशन जल्द से जल्द कराने के लिए प्रोसेस की रफ्तार बढ़ानी चाहिए।

जिन मामलों में टिकाऊ रेजल्यूशन प्लान पर सहमति 6 महीने के भीतर नहीं बन पाती है, उनमें बैंकों को आईबीसी के तहत डिफॉल्टर के खिलाफ इनसॉल्वंसी की कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा जाएगा। दरअसल इंडियन बैंकिंग सेक्टर पर 8 लाख करोड़ रुपए का एनपीए का बोझ है, जिनमें से 6 लाख करोड़ रुपए का नॉन परफॉर्मिंग लोन पब्लिक सेक्टर बैंकों का है। आईबीसी ने एनपीए रेजल्यूशन के लिए टाइम फ्रेम तय किया है और नेशनल कंपनी लॉ ट्रायब्यूनल के पास आए केस के ऐडमिशन या रिजेक्शन के लिए 14 दिन की समय सीमा तय की गई है।

एनसीएलटी के केस मंजूर करने के बाद लेनदार को इनसॉल्वंसी प्रैक्टिशनर्स को हायर करने के लिए 30 दिन का समय मिलेगा। उसके बाद निपटारे की पूरी प्रक्रिया को 180 दिन के भीतर पूरा करना होगा जिसमें प्रॉजेक्ट रिवाइवल या लिक्विडेशन सहित कई तरह की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। आरबीआई ने ऐसे मामलों के लिए इंटरनल अडवाइजरी कमिटी (IAC) बनाई है जिन पर आईबीसी के तहत रेजल्यूशन के लिए रेफरेंस के तौर पर विचार किया जा सकता है।

इधर, आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि जीएसटी से देश में नैशनल मार्केट तो बनेगा ही, साथ में टैक्स का दायरा भी बढ़ेगा। इससे लॉन्ग टर्म में टोटल टैक्स में कमी आएगी। इंडस्ट्री लॉबी आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में पटेल ने कहा, 'अहम बात यह है कि जीएसटी अपने आप में डिजिटाइजेशन रेवॉल्यूशन है जो प्रोसेस और ऑपरेशंस के हिसाब से इन्फॉर्मेशन साइड में रिफॉर्म्स के साथ मिलकर टैक्स के दायरे में व्यापक विस्तार कर सकता है।' गवर्नर ने यह भी कहा कि जीएसटी आने वाले समय में टैक्स दरों में कमी का दौर ला सकता है।


 

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