वार के अनुसार लगाएं लगाएं ये तिलक, ग्रहों के नेगेटिव इफेक्ट्स का होगा End

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 10:50 AM

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक सप्ताह के सात दिनों के लिए अलग-अलग तिलक लगाने का विधान सुनिश्चित किया गया है। इसके अनुसार तिलक धारण करने से उस दिन के ग्रह-गोचर अनुकूल होकर फलदायी बन जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक सप्ताह के सात दिनों के लिए अलग-अलग तिलक लगाने का विधान सुनिश्चित किया गया है। इसके अनुसार तिलक धारण करने से उस दिन के ग्रह-गोचर अनुकूल होकर फलदायी बन जाते हैं।


सात दिवसीय तिलक, निर्धारण व्यवस्था
सोमवार-
यह महादेव शिवशंकर का दिन है। इस दिन के स्वामी चंद्रमा हैं। अत: श्वेत चंदन का तिलक लगाने से मन शांत व स्थिर रहता है। इस दिन शिव को प्रसन्न करने वाले भस्म का तिलक भी लगा सकते हैं।


मंगलवार : यह संकट मोचन हनुमान का दिवस है, मंगल ग्रह इस दिन के स्वामी हैं। अत: लाल चंदन अथवा चमेली के तेल के साथ सिंदूर मिलाकर तिलक लगाना शुभ है जो ऊर्जा बनाए रखता है और निराशा दूर करता है।


बुधवार : मां भगवती दुर्गा के इस दिवस को गणपति गणेश का दिन भी माना जाता है। इस दिन के स्वामी बुध ग्रह हैं। अत: इस दिन सूखा सिंदूर लगाने से बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।


बृहस्पतिवार : वीरवार- यह देवगुरु बृहस्पति का दिन है। इस दिन पीले रंग का अथवा पीले श्वेत मिश्रित रंग का तिलक धारण करना चाहिए। चंदन काष्ठ को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर माथे पर लेप करना शुभदायक है। हल्दी व गोरोचन का तिलक भी सुख-शांति प्रदान करता है।


शुक्रवार : यह दैत्य, दानव, असुर जनों के गुरु ब्रह्मर्षि शुक्राचार्य का एवं शुक्र ग्रह का यह दिन है। इस दिन को भगवान विष्णु की सहधर्मिणी लक्ष्मी का भी दिन मानते हैं।  अत: इस दिन लाल चंदन का तिलक धारण करने से तनाव दूर होता है, भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होती है। इस दिन सिंदूर भी लगाना शुभ है।


शनिवार : यह वस्तुत: यमदेव-यमराज, भैरव (काल भैरव) के साथ ही शनि ग्रह का दिवस है। इस दिन के स्वामी शनि ग्रह हैं। अत: इस दिन भस्म का अथवा लाल चंदन का तिलक लगाना शुभकारी है। इससे ये देव प्रसन्न रहते हैं और लाभ पहुंचाते हैं। तिलक लगाने की पद्धति भी है। मोक्ष प्राप्ति हेतु तिलक अंगूठे से, शत्रुनाश के लिए तर्जनी से, धन प्राप्ति के लिए मध्यमा से और शांति प्राप्ति के लिए अनामिका से तिलक लगाने का प्रावधान है।


अंगूठे से तिलक लगाने से भू-मध्य आज्ञाचक्र की जागृति होती है, वह प्रभावित होता है और सर्वदा सकारात्मक सोच तथा विशेष ऊर्जा प्राप्ति के लिए उपयोगी माना गया है। वैसे नदी तटीय मिट्टी का, पुण्य तीर्थ स्थल का, चींटी की बाम्बी तथा तुलसी के मूल (जड़) की मिट्टी का भी तिलक उत्तम माना गया है। तीर्थ स्थल, पूजन, दान कर्म, यज्ञ, होम, पितर, कर्म, जप, कर्म तथा देवी-देवता पूजन में तिलक धारण करना शुभ है।    

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