मोरयाई छठ कल: स्नान, दान और पूजा करने से मिलेगा अश्वमेध यज्ञ जितना फल

Edited By ,Updated: 06 Sep, 2016 02:49 PM

morai chhath

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ व्रत, मोर छठ अथवा सूर्य षष्ठी व्रत (तीनों एक ही व्रत के नाम हैं) रखने का विधान है।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ व्रत, मोर छठ अथवा सूर्य षष्ठी व्रत (तीनों एक ही व्रत के नाम हैं) रखने का विधान है। इस वर्ष ये व्रत  7 सितंबर, बुधवार को है। भविष्योत्तर पुराण में कहा गया है, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान सूर्य को समर्पित यह व्रत करना चाहिए लेकिन भाद्र माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इस व्रत को करने का विशिष्ट महत्व है। माना जाता है कि जो जातक मोरयाई छठ के दिन विधानपूर्वक स्नान, दान और पूजा करता है उसे अश्वमेध यज्ञ जितना फल मिलता है।
 
* श्रद्धापूर्वक व्रत रखें।
 
*  गंगा स्नान का विशेष महत्व है, जो जातक गंगा स्नान करने नहीं जा सकते वो घर पर ही नहाने के पानी में कुछ बूंदे गंगा जल डाल कर स्नान करें।  
 
* सुबह सूर्य देव के उदय होते ही सूर्योपासना करें। ध्यान रखें जब तक सूर्य देव प्रत्यक्ष दिखाई न दें तब तक सूर्योपासना न करें।
 
* पंचगव्य सेवन करें।
 
* दिन में एक बार नमक रहित भोजन खाएं।
 
* सूर्य देव को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें केसर, लाल चंदन, लाल पुष्प, लाल फल, गुलाल, लाल कपड़ा, लाल रंग की मिठाई अर्पित करें।  
* सूर्यों मंत्रों का जाप करें।
 
- ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
 
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
 
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
 
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
 
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
 * सूर्य को अर्घ्य देते समय इस मन्त्र का जाप करें। सूर्य देव ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि के साथ-साथ सभी आकांक्षाओं को पूरा करते हैं। 
- एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते । अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।
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