एशिया की पहली टीम

Edited By vasudha,Updated: 20 Aug, 2019 02:32 PM

asia first team

पांच वर्ष पहले हेमंत शर्मा(योग आचार्य) ने दिव्यांग बच्चों की टीम की शुरुआत की जो बन गयी है आज भारत की पहली टीम जो करती है एक्रोबेटिक योग। एशिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स एवं इंडिया बुक रिकॉर्ड ने माना कि ये है इंडिया की दिव्यांग बच्चों की पहली टीम जो करती...

पांच वर्ष पहले हेमंत शर्मा(योग आचार्य) ने दिव्यांग बच्चों की टीम की शुरुआत की जो बन गयी है आज भारत की पहली टीम जो करती है एक्रोबेटिक योग। एशिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स एवं इंडिया बुक रिकॉर्ड ने माना कि ये है इंडिया की दिव्यांग बच्चों की पहली टीम जो करती है एक्रोबेटिक योग। जाने माने रैपर रफ्तार के हाथों योगा आर्टिस्ट ग्रुप को ये सम्मान दिया गया। इस टीम ने दूरदर्शन के शो मेरी आवाज़ सुनो,कलर्स टी वी के शो इंडिया बनेगा मंच,ज़ी टी वी के शो बिग सेलेब्रिटी चैलेंज इंटरनेशनल में अपने हुनर का प्रदर्शन किया।इसके अलावा बच्चे कई नेशनल व स्टेट अवार्ड से नवाज़े जा चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, डॉ किरण बेदी,श्री रजत शर्मा,महाबली सतपाल, श्री सुशील कुमार व जाने माने रैपर रफ्तार के सामने भी किया है अपने हुनर का प्रदर्शन।

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टीम के सभी सदस्य दृष्टिहीन हैं परंतु उनके हुनर को देख कर कोई कह नही सकता कि वो किसी से कम हैं। एक्रोबेटिक योगा में दो लोगों का आपसी तालमेल और समझ बहुत ज़रूरी होती है। एक दूसरे पर आंख बंद करके भरोसा करना होता है, तभी योगा के वह स्टैप किये जाते हैं जो दांतो तले उंगलियां दबाने को मजबूर कर दें। भारत में बहुत सी एक्रोबेटिक योगा की टीमें आपने देखी होंगी जो एक दुसरे की मदद से अलग अलग तरह की मीनारें आपके सामने चुटकियों में प्रस्तुत कर देते हैं। मगर यही एक्रोबेटिक योगा जब कोइ बिना देखे करे तो आसान सी दिखने वाली मीनारें बहुत मुश्किल हो जाती हैं।

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अखिल भारतीय नेत्रहीन संघ, रघुबीर नगर एवं ऐस डी पब्लिक स्कूल, पीतम पूरा के इन बच्चों ने ना सिर्फ एक्रोबेटिक योगा में अपनी दिव्यांगता के बावजूद महारत हासिल कर ली बल्कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान हासिल करके दुनिया को बता दिया कि दिव्यांगों की छठी इंद्री (छठा सेंस) उनकी सारी कमी पूरी कर देती है। इन बच्चों को एक्रोबेटिक सिखाने वाले हेमन्त शर्मा बताते हैं कि पहले उन्हें लगा ही नहीं कि यह बच्चे भी एक्रोबेटिक कर सकते हैं। चार साल पहले जब वह यहां आये थे तब इन्हें बस ध्यान और आसन सिखाया करते थे, इन बच्चों की अन्य सामान्य बच्चों की तुलना में जल्द सीखने की आदत को देखते हुए उन्होंने यूं ही इन्हें एक्रोबेटिक सिखाया और रिजल्ट आज सबके सामने है। ये बच्चे फर्स्ट नेशनल एक्सीलेंस अवॉर्ड, अनमोल अवॉर्ड के साथ साथ फर्स्ट योगा ओपन नेशनल चैम्पियनशिप, मेरी आवाज सुनो, दिल्ली स्टेट योगाचैम्पियनशिप जैसी बहुत सी प्रतियोगिताओं में सामान्य वर्ग के छात्रों को भी  कड़ी टक्कर दे चुके हैं।

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