Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Sep, 2019 04:30 PM
कौआ है प्यासा प्यासा।
पानी कहां से लाऊं रे।।
कौआ है प्यासा प्यासा।
पानी कहां से लाऊं रे।।
जन भी प्यासे थल भी प्यासा।
मैं कैसे इन्हें समझाऊं रे।।
पानी पानी सब करें।
मरता कौआ करे सवाल।।
तुम इंसानों ने क्या है किया।
जो धरती का हुआ यह हाल।।
समय है सुधर जाओ।
अपने में कुछ सुधार लाओ।।
बख्श दो इन जंगलों को, एक कुदरत है हमारी भी।
पानी के बिना कुछ नहीं, कोई व्यक्तित्व नहीं तुम्हारा भी।।
“प्यासा कौआ चीखता, खूब मचाए शोर।
पेड़ों को मत काटिए, सूखा जल सब ओर।”
अंकित शर्मा