साहिब जादा फतेह सिंह जन्म दिवस को समर्पित

Edited By Updated: 06 Jan, 2017 05:18 PM

guru gobind singh ji  birth anniversary  baba fateh singh  anandpur

दसवें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादे (पुत्र) थे। इनमें सबसे छोटे साहिबजादे बाबा फतेह सिंह थे। मुगल सेना और सिख सेवकों (सेना) के बीच भारी युद्ध चल रहा था।

दसवें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादे (पुत्र) थे। इनमें सबसे छोटे साहिबजादे बाबा फतेह सिंह थे। मुगल सेना और सिख सेवकों (सेना) के बीच भारी युद्ध चल रहा था। मुगल भारी सेना ने आनंदपुर के किले को घेर लिया। यह घेरा सात महीने चला। सिख सेना काफी मुसीबतों का सामना कर रही थी। किले में राशन समाप्त हो गया और बहुत से लोग बिमार पड़ गए। मुगल सेना की ओर से संदेश आया कि मुगल बादशाह औरंगजे़ब की ओर से पैगाम है कि हम कुरान की कसम खाते हैं, गुरुजी और उनकी सेना आनंदपुर साहब का किला छोड़ कहीं भी चली जाए, मुगल सेना उन्हें कुछ नहीं कहेगी। सिखों ने गुरु गोबिंद जी को कहा कि हमें किला छोड़ देना चाहिए। गुरुजी ने कहा यह कसमें झूठी है परंतु चूंकि मेरे लिए अपने भक्तों की बात न मानना उचित नहीं होगा, अतः मैं विवश होकर यहां से जाने का आदेश देता हूं।


गुरुजी और उनका परिवार व सिख किले के बाहर आ गए और दिल्ली की ओर बढ़ने लगे तभी पीछे से मुगल सेना ने युद्ध कर दिया। सभी इधर-उधर जिधर रास्ता सूझा निकलने लगे। गुरुजी के दोनों छोटे पुत्र जोरावर सिंह और फतह सिंह जिनकी आयु 8 और 6 वर्ष की थी, अपनी दादी गुजरी जी के साथ सरसा नहीं पार की और उनका रसोइया गंगू ब्राहमण उन्हें अपने गांव ले गया। उसे इनाम का लालच आ गया तो माता गुजरी और दोनों साहिबजादे पकड़ लिए गए और दोनों साहिबजादों को कचहरी में पेश किया गया। सरहंद के सूबेदार को खबर भेज दी कि गुरुजी तुम्हारा पूरा परिवार व सिख पकड़ लिए गए हैं और दोनों छोटे भाइयों को कहा गया कि तुम्हारे पिता गुरु गोबिंद सिंह और तुम्हारे दोनों बड़े भाई और तुम्हारा पूरा परिवार शहीद हो गए हैं। सो तुम्हारी आयु बहुत कम है सो हम तुम्हें मारना नहीं चाहते। तुम अपना धर्म बदल लो तुम्हें ऊंचा पद व धन व सारे सुख साधन मिलेंगे और तुम्हारी शादी बहुत सुंदर कन्याओं के साथ कर दी जाएगी।


दोनों छोटे साहिबजादों ने कहा हम धर्म नहीं छोड़ सकते और न ही हम किसी लालच में आएंगे सो अपना समय व्यर्थ न करो और हमें जो सजा दो वो हमें स्वीकार है। हाकिम वजीर खां ने आदेश दिया कि दोनों को जिन्दा दीवारों चिनवा दिया जाए। दोनों साहिबजादों के चारों दीवार बनाई जाने लगी, जब दीवार फतेह सिंह के सिर के पास आई तब उससे बड़े भाई जोरावर ने कहा आज शहीद होते हुए मुझे खुशी हो रही है। परन्तु मुझे दुख इस बात का है कि मैं फतेह सिंह से बड़ा हूं और शहीद मेरे से पहले मेरा छोटा भाई फतेह सिंह हो रहा है। गुरु गोबिंद जी ने अपने साहिबजादों का बदला लेने के लिए बंदा बहादुर को पंजाब भेजा। बंदा बहाुदर ने अपने हाथी के पैर के साथ वजीर खां को बांध कर सड़क पर घसीट-घसीट कर उसके किए की सजा दी।
सुखमनी साहब यही कहता हैः- 
‘आपन बीजि आपे ही खाहि’

                                                                                                                                                                                     -जगजीत सिंह अरोड़ा

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!