"ज्योति के निर्माण को"

Edited By Riya bawa,Updated: 08 May, 2020 04:15 PM

poem the making of the flame

घनघोर सा है तम घना, आह्वान करती है धरा जो कर विफल अंधकार को,प्रकाश दे संसार को करना है ये…….प्रण अदा, हम रहें तत्पर सदा उस ज्योति के निर्माण को,उस,...

घनघोर सा है तम घना, आह्वान करती है धरा
जो कर विफल अंधकार को,प्रकाश दे संसार को
करना है ये…….प्रण अदा, हम रहें तत्पर सदा
उस ज्योति के निर्माण को,उस ज्योति के निर्माण को


पाप का प्रतिकार हो, बस धर्म ही स्वीकार हो
बन्धुत्व की हो भावना,सारी सृष्टि इक परिवार हो
सब मृदुल वाणी कहें, मंत्रमुग्ध सब प्राणी रहें
मंदिरों में हो खुदा,मस्जिद में भी भगवान हो
मानव में मानवता रहें,सब धर्म का प्रतिमान हो

करना है ये…….प्रण अदा,हम रहें तत्पर सदा
उस ज्योति के निर्माण को,उस ज्योति के निर्माण को

मन में दया का बोध हो और क्रोध पर प्रतिरोध हो
शोध हो विज्ञान पर, अज्ञान पर अवरोध हो
सृष्टि सृजन सहायक बनों,भारत के तुम नायक बनों

रश्मिरथी के सारथी बन, स्वयं से अनुरोध हो
हम सजग प्रतिबद्ध है, सृष्टि के उत्थान को
करना है ये…….प्रण अदा,हम रहें तत्पर सदा
उस ज्योति के निर्माण को,उस ज्योति के निर्माण को

(कुमार अखिलेश)

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