लौट कर आयूंगा कूच से क्यों डरूं

Edited By pooja,Updated: 18 Aug, 2018 04:07 PM

why should i return from a journey

अटल थे तो कहाँ जायेंगे यहीं तो है आप उन्हें जहाँ पाएंगे अटल जी जैसी शक्शियतें कभी मरा नहीं करती ये बात और है की मौत से उनकी ठनी थी एवो प्रकर्ति का नियम है

नई दिल्ली:   अटल थे तो कहाँ जायेंगे यहीं तो है आप उन्हें जहाँ पाएंगे अटल जी जैसी शक्शियतें कभी मरा नहीं करती ये बात और है की मौत से उनकी ठनी थी एवो प्रकर्ति का नियम है उसे हर हाल में सूरते अंजाम होना ही था हुआ भी वही जो होना था रार नहीं ठानने और हार नहीं मानने के लिए जाने जाने वाले अटल जी तो काल के कपाल परलिखते मिटाते गीत नए गाते रहने वाले दिलखुश मिजाज थे वो कल थे आज थे प्रेरणा थे समर्पण थे ह्रदय स्पर्शी थे अटल जी की मौत से माना ठनी थी पर कहीं ज्यादा जिन्दगी से उनकी बनी थी एवो कवि थे नेता थे दिलों में राज करते थे वक्ता ऐसे की मनो रस्सी से श्रोता को बांध दे बात कह देने की कला ऐसी की किसी को पानी पानी कर दे नेतृतव ऐसा की सबको झुकने पर मजबूर कर दे कोई एक विधा नहीं थी उनकी खासियत हर विधा में वो बहुत ख़ास थे अटल ने गुलाम भारत भी देखा अंग्रेजों का असहयोग भी किया गांधी के अनुयायी भी अटल थे हर परस्थिति में डटे थे वो पत्रकार थे तब भी अडिग निर्भीक और अटल ही थे वो नेता थे यकीनन बेबाक और दो टूक थे ये वही थे अटल थे प्रधान मंत्री थे तो भी अटल थे परमाणु भी अटल थे तो कारगिल में भी वो अटल थे आज जो देश ग़मगीन है यूँही नहीं रोता कोई ये वही अटल है जो दिलों में बसे हैं संसद में शेर की तरह दहाड़ने वाले इस अटल का समूचा विपक्ष कायल था खुद नेहरु ने तो उनके उज्वल भविष्य की जैसे कामना की थी प्रधान मंत्री बनने की खुली दुआ दी थी इस शेर ने ज़िदगी से हर रोज़ दो हाथ भी अटलता से किये और मौत से बखूबी ठान कर अटल शान से जिए थे और देखिये इसी अटल की मौत का वाकया जरा करीब से क्योंकि अटल के सिवा किसी दुसरे को ऐसी मौत भी नसीब नहीं होती याद है न उन्ही ने कहा था की मै जी भर जिया और मै मन से मरुँ एए तो  देखिये कुदरत भी जैसे उनके आधीन थी या यूँ कहूँ की वो भी अटल की कायल थी स जिस बीजेपी को शीर्ष पर लाने के लिए वो जी जान से जुटे थे आज देखो न वही बीजेपी सिरमौर है आधे से ज्यादा प्रदेशों सहित केंद्र में उस ही की सरकार है देश का शीर्ष पद भी उसी के पास है यही अटल जी की आस थी यही मन से मरने की उनकी बात थी।

एक ऐसा नेता ऐसा व्यक्तित्व जिसके उल्लेख में शब्दों का टोटा है न जाने कितने हैं जो मन ही मन रोते हैं कुछ तो वो भी हैं जो पहले चल कर उनके आ जाने की बाट भी जोहते हैं बहुत कम लोग जानते होंगे इसलिए यहाँ बता दूँ की मशहूर गीत कार प्रधान मंत्री थे तो भी अटल थे परमाणु भी अटल थे तो कारगिल में भी वो अटल थे आज जो देश ग़मगीन है यूँ ही नहीं रोता कोई ये वही अटल है जो दिलों में बसे हैं संसद में शेर की तरह दहाड़ने वाले इस अटल का समूचा विपक्ष कायल था खुद नेहरु ने तो उनके उज्वल भविष्य की जैसे कामना की थी प्रधान मंत्री बनने की खुली दुआ दी थी इस शेर ने ज़िदगी से हर रोज़ दो हाथ भी अटलता से किये और मौत से बखूबी ठान कर अटल शान से जिए थे और देखिये इसी अटल की मौत कावाकया जरा करीब से क्योंकि अटल के सिवा किसी दुसरे को ऐसी मौत भी नसीब नहीं होती याद है न उन्ही ने कहा था की मै जी भर जिया और मै मन से मरुँ एए तो देखिये कुदरत भी जैसे उनके आधीन थी या यूँ कहूँ की वो भी अटल की कायल थी स जिस बीजेपी को शीर्ष पर लाने के लिए वो जी जान से जुटे थे आज देखो न वही बीजेपी सिरमौर है आधे से ज्यादा प्रदेशों सहित केंद्र में उस ही की सरकार है देश का शीर्ष पद भी उसी के पास है यही अटल जी की आस थी यही मन से मरने की उनकी बात थी।


हर पल जीने वाले अटल जी 15 अगस्त को तिरंगे को फैरते देख सलाम कर 16 अगस्त को दुनिया छोड़ चले गवाह रहेंगे। ये देश दुनिया वाले जो उनकी राह में फूलों की बरसात करते रहे गवाह रहेंगे। ये सूरज चाँद सितारे जिहोने अटल को सबसे करीब से देखा है ये वही तो है जिनकी मौजूदगी में अटल ने प्रभु ये दुआ मांगी और कहा की हे प्रभु मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना गैरों को गले न लगा सकूं इतनी रुखाई कभी  देखो ये अटल ही हैं
 

 अतुल गौड
> लेखक प्रिंट एवं एलेक्ट्रोनिक मिडिया के वरिष्ट पत्रकार हैं

 

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