Edited By Radhika,Updated: 16 Dec, 2025 01:44 PM

लोकसभा में शीतकालीन सत्र 2025 जारी है। इस सत्र में सांसद में बीते दिन यानि सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण रोजगार और आजीविका से संबंधित एक नया बिल पेश किए जाने पर भारी हंगामा हुआ। विपक्ष ने इसे 'जी राम जी बिल' करार देते हुए तीखा विरोध किया और...
नेशनल डेस्क: लोकसभा में शीतकालीन सत्र 2025 जारी है। इस सत्र में सांसद में बीते दिन यानि सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण रोजगार और आजीविका से संबंधित एक नया बिल पेश किए जाने पर भारी हंगामा हुआ। विपक्ष ने इसे 'जी राम जी बिल' करार देते हुए तीखा विरोध किया और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इसे मनरेगा जैसी मौजूदा योजनाओं का नाम बदलने की सनक बताया।
सदन में नए बिल पर बवाल-
सोमवार को केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जैसे ही 'विकसित भारत – Guarantee for Employment and Livelihood Mission (Rural) नाम का बिल लोकसभा में पेश किया, कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने तुरंत हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष का आरोप है कि यह बिल ग्रामीण रोजगार के लिए बनी दशकों पुरानी और सफल योजनाओं का नाम बदलने की सिर्फ एक कोशिश है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका को और अधिक मजबूती देने के लिए लाया गया है। लेकिन विपक्षी दलों ने बिल पेश किए जाने के तुरंत बाद सदन की कार्यवाही को बाधित कर दिया और सरकार पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।
प्रियंका गांधी ने जताया कड़ा ऐतराज
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने नियम 72(1) के तहत इस बिल पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने जोर देकर कहा कि मनरेगा (MNREGA) जैसी योजनाएँ पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रामीण कामगारों के लिए एक मज़बूत आधार रही हैं। प्रियंका गांधी ने कहा, "ग्रामीण इलाकों में मनरेगा मजदूर की पहचान दूर से हो जाती है - उनके चेहरे पर झुर्रियां होती हैं और हाथ पत्थर की तरह कठोर होते हैं।" उन्होंने तर्क दिया कि यह बिल सीधे पारित नहीं होना चाहिए। इसकी बजाय इसे सभी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
‘नाम बदलने की सनक’ पर हमला-
कांग्रेस सांसद ने स्पष्ट रूप से बिल को वापस लेने की मांग की। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि "हर योजना का नाम बदलने की जो 'सनक' है, वह समझ से परे है और इससे मूल उद्देश्य पर बुरा असर पड़ता है।" विपक्षी दलों का मानना है कि नाम बदलने से योजना के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन और उसकी पहचान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।