Edited By Shubham Anand,Updated: 16 Dec, 2025 06:43 PM

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में मंगलवार को 34 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें सात महिलाएं भी शामिल हैं। इनमें 26 नक्सलियों पर कुल 84 लाख रुपये का इनाम था। ये दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, तेलंगाना स्टेट कमेटी और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर डिवीजन में...
नेशनल डेस्क : छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में मंगलवार को 34 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें सात महिलाएं भी शामिल हैं। इनमें से 26 नक्सलियों पर कुल 84 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वाले ये कैडर दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी), तेलंगाना स्टेट कमेटी और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर डिवीजन में सक्रिय थे।
मुख्य कैडरों में पांड्रू पुनेम (45), रुकनी हेमला (25), देवा उइका (22), रामलाल पोयम (27) और मोटू पुनेम (21) शामिल हैं, जिनमें प्रत्येक पर आठ लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण वरिष्ठ पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों की उपस्थिति में 'पुना मार्गेम' (पुनर्वास से सामाजिक पुनर्स्थापन) पहल के तहत हुआ।
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक (SP) जितेंद्र यादव ने बताया कि राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत प्रत्येक आत्मसमर्पित नक्सली को तुरंत 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता के साथ-साथ कौशल विकास प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। यादव ने कहा कि सरकार की इस नीति से प्रभावित होकर पिछले दो वर्षों में दंतेवाड़ा जिले में कुल 824 नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है।
उन्होंने आगे बताया कि आत्मसमर्पित कैडरों के परिवार भी उन्हें सामान्य जीवन जीने और समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यादव ने स्पष्ट किया कि इन नक्सलियों ने दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC), तेलंगाना राज्य कमेटी और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर डिवीजन में सक्रिय रहते हुए हिंसक गतिविधियों में हिस्सा लिया था।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि राज्य सरकार की सरेंडर और पुनर्वास नीति माओवादियों को हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए आकर्षित कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इस नीति का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है और कई नक्सली अपने परिवार और समाज के साथ सामान्य जीवन बिताने की ओर बढ़ रहे हैं।