पांच वर्ष बाद फिर टूटा जद (यू) और भाजपा का गठबंधन

Edited By ,Updated: 10 Aug, 2022 04:08 AM

after five years the alliance of jd u and bjp broke again

विभिन्न मुद्दों को लेकर पिछले काफी समय से बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में नाराजगी के संकेत मिल रहे थे जिसका परिणाम अंतत: 9 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अपनी

विभिन्न मुद्दों को लेकर पिछले काफी समय से बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में नाराजगी के संकेत मिल रहे थे जिसका परिणाम अंतत: 9 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अपनी पार्टी जद (यू) का भाजपा से गठबंधन समाप्त करने की घोषणा के रूप में निकला। इसी सिलसिले में उन्होंने राज्यपाल फागू सिंह से भेंट करके अपना त्यागपत्र तथा राजद, कांग्रेस, वामदल व हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के 164 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपते हुए इनके साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया तथा इसके साथ ही उन्होंने नई सरकार बनाने की कवायद भी शुरू कर दी है और वह 10 अगस्त को फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

उल्लेखनीय है कि अब नीतीश कुमार उसी तेजस्वी यादव के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं जिन पर 2017 में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद भाजपा से नाता जोड़ा तथा भाजपा की मदद से सरकार बनाई थी उस समय तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को ‘पलटू राम’ कहा था, और अब भाजपा ने नीतीश को ‘पलटू राम’ कहा है।इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में राजग गठबंधन जीत तो गया परन्तु जद (यू) के विधायकों की संख्या घट गई। तब यह कहा गया कि नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए भाजपा ने चिराग पासवान का साथ दिया था तभी से अंदर ही अंदर दोनों दलों में खटपट जारी थी। कई मुद्दों पर दोनों दलों के नेता अलग-अलग बयानबाजी कर रहे थे। 

नीतीश कुमार के नजदीकी सूत्रों के अनुसार उनकी नाराजगी का मुख्य कारण यह है कि उनको लगता है कि अमित शाह रिमोट द्वारा बिहार को कंट्रोल करना चाहते हैं। अपनी यही नाराजगी जताने के लिए नीतीश कुमार ने अमित शाह तथा प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई कई बैठकों में हिस्सा ही नहीं लिया। प्रधानमंत्री द्वारा मुख्यमंत्रियों के साथ बुलाई बैठक में भाग न लेने का कारण नीतीश कुमार ने तबीयत खराब होना बताया परंतु उस दौरान वह पटना में 2 सरकारी समारोहों में शामिल हुए। नीतीश कुमार के निकटतम नेताओं का मानना है कि आर.सी.पी. सिंह के साथ मिलकर भाजपा ने जद (यू) को दोफाड़ करने की कोशिश की जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में मंत्री बनाया था। 

2020 के बाद से ही नीतीश कुमार को लग रहा था कि उनकी भरोसेमंद भाजपा उनका कद छोटा करने की कोशिश कर रही है जबकि भाजपा खेमा इसे नीतीश कुमार की चाल बता रहा है। नीतीश कुमार की कैबिनेट में एक वरिष्ठ मंत्री का कहना है कि नीतीश कुमार का अगला निशाना लोकसभा का चुनाव है और वह प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनना चाहते हैं।

हालांकि हाल ही में अपनी पटना यात्रा के दौरान अमित शाह ने कहा था कि नीतीश कुमार ही राज्य विधानसभा के अगले चुनाव में गठबंधन का चेहरा होंगे लेकिन जद (यू) नेता ललन सिंह ने 7 अगस्त को यह कह कर भाजपा-जद (यू) गठबंधन में दरार का संकेत दे दिया कि अगले चुनावों के संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोडऩे पर कहा है कि ‘‘समाज में विवाद पैदा करने की हो रही थी कोशिश, मुझे यह बुरा लगा।’’ 

वरिष्ठ भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने नीतीश कुमार पर जनादेश से विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रचार से 2020 के चुनाव में राजग ने विजय प्राप्त की थी और भाजपा ने अधिक सीटें जीतने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। क्या अब राजद का भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है, जिसके चलते उन्होंने 2017 में राजद से नाता तोड़ा था?’’दूसरी ओर जद (यू) नेता राजीव रंजन का कहना है कि ‘‘जद (यू) भाजपा पर गठबंधन धर्म के उल्लंघन का आरोप लगा रही है परन्तु भाजपा बार-बार  नीतीश सरकार की गवर्नैंस पर प्रश्र उठा रही थी। क्या यह गठबंधन धर्म का उल्लंघन नहीं था?’’बहरहाल अब जबकि नीतीश कुमार जद(यू) और राजद तथा अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं, राजद के विधायक अधिक होने के कारण नीतीश कुमार उसी पर आश्रित रहेंगे। 

वर्तमान संकेतों के अनुसार बताया जाता है कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को उप-मुख्यमंत्री पद देने की मांग भी स्वीकार कर ली है। यही नहीं तेजस्वी यादव ने अपना 2020 का एजैंडा लागू करने की बात भी कही है जिसका मतलब यह है कि नीतीश कुमार को राजद की कई मांगें स्वीकार करनी ही पड़ेंगी भले ही वह चाहें या न चाहें। नीतीश कुमार का यह निर्णय कितना सही है इसका जवाब तो समय ही देगा पर इस स्थिति ने भाजपा के लिए कठिन स्थिति पैदा कर दी है व उसने बिहार में अपने पैर जमाने का अच्छा मौका गंवा दिया है।—विजय कुमार

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