मणिशंकर अय्यर ‘उल्टे-पुल्टे बयान’ देने का आदी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Dec, 2017 01:51 AM

mani shankar aiyar used to give inverted statement

पूर्व भारतीय कूटनयिक तथा कांग्रेस के पूर्व सदस्य मणिशंकर अय्यर डा. मनमोहन सिंह नीत यू.पी.ए.-1 सरकार (2004-2009) में पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री रहे और फिर 2006 से 2009 तक उन्होंने युवा मामलों और खेल मंत्रालय का जिम्मा संभाला। पूर्व...

पूर्व भारतीय कूटनयिक तथा कांग्रेस के पूर्व सदस्य मणिशंकर अय्यर डा. मनमोहन सिंह नीत यू.पी.ए.-1 सरकार (2004-2009) में पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री रहे और फिर 2006 से 2009 तक उन्होंने युवा मामलों और खेल मंत्रालय का जिम्मा संभाला। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी के अधिक नजदीक रहे मणिशंकर अय्यर समय-समय पर विभिन्न विवादों में घिरते रहे हैं। 

अगस्त, 2013 में राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने उस समय अय्यर पर पाकिस्तानी जासूस होने का आरोप लगाया था जब श्री अय्यर ने पाकिस्तानी सेना द्वारा कुछ ही समय पूर्व की गई 5 सैनिकों की हत्या पर चर्चा करने से इंकार करते हुए इसके स्थान पर बढ़ रही गैस कीमतों पर चर्चा करने का सुझाव दिया था। अय्यर ने फ्रांस द्वारा हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के जवाब में नवम्बर, 2015 के पैरिस हमलों को उचित ठहराया था। उन्होंने मुसलमानों की मौत की प्रतिक्रिया स्वरूप चार्ली हेबदो गोलीकांड को भी सही बताया था और उनके इन बयानों को उनकी पार्टी ने ही खारिज कर दिया था। बहरहाल, समय-समय पर विवादास्पद बयान देने वाले मणिशंकर अय्यर के बयानों में विरोधी दलों के नेताओं का ही नहीं बल्कि अपने ही दल का विरोध झलकता रहा है। 

इस वर्ष के पूर्वाद्र्ध में 5 राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में उठ रही बदलाव की मांग के बीच उन्होंने यह सुझाव दिया था कि पार्टी को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाना चाहिए। अय्यर ने कहा कि यदि जरूरी हो तो राहुल को इस महागठबंधन के नेतृत्व का दावा छोड़ देना चाहिए जैसा कि कांग्रेस ने बिहार में 2015 में किया था, जब यह महागठबंधन में तीसरी जूनियर भागीदार थी और उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी की जूनियर थी।

अय्यर के सुझाव का मतलब यह था कि कांग्रेस में अपने बलबूते पर जीतने की शक्ति नहीं और ऐसा कह कर उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया था। यही नहीं मणिशंकर अय्यर ने इस वर्ष 8 अक्तूबर को कसौली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संबंध में कहा कि कांग्रेस में सिर्फ 2 लोगों में से ही कोई ग्रैंड ओल्ड पार्टी का अगला अध्यक्ष बन सकता है। उन्होंने कहा था कि ‘‘मैं महसूस करता हूं कि केवल 2 लोगों में से ही कोई कांग्रेस का अगला अध्यक्ष बन सकता है जिनमें से एक मां और दूसरा बेटा है। राहुल ने खुले तौर पर कहा है कि वह चुनाव लडऩे को तैयार हैं लेकिन जब कोई मिलेगा तभी तो चुनाव होंगे यदि कोई भी नहीं मिला और केवल एक ही प्रतियोगी हुआ तो फिर चुनाव कैसे हो सकते हैं।’’

जहां इस प्रकार के बयान देकर मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस में रहते हुए राहुल गांधी के प्रति अपनी नापसंदगी जाहिर की है वहीं अन्य विषयों पर भी आपत्तिजनक बयान देकर उन्होंने विवाद पैदा किए हैं। इसकी नवीनतम मिसाल पेश करते हुए उन्होंने 7 दिसम्बर को गुजरात विधानसभा के चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार समाप्त होने के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच किस्म का आदमी’ बता कर  न सिर्फ भारी बवाल पैदा कर दिया बल्कि कांग्रेस को भी बैकफुट पर लाकर खड़ी कर दिया। 

इस पर आनन-फानन में राहुल गांधी ने पूरे मामले में हस्तक्षेप करके न सिर्फ मणिशंकर अय्यर से उनके शब्दों के लिए माफी मंगवाई बल्कि रात 9 बजे कांग्रेस द्वारा मणिशंकर अय्यर को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। निश्चय ही मणिशंकर अय्यर का बयान किसी भी दृष्टिï से मर्यादा के अनुरूप नहीं है जिसकी कांग्रेस को गुजरात के चुनावों में भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है और इसे देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि : हुए तुम दोस्त जिसके दुश्मन उसका आसमां क्यों हो—विजय कुमार 

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