महिला आरक्षण अर्थात नारी शक्ति वंदन विधेयक के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर करनी होंगी

Edited By ,Updated: 29 Sep, 2023 04:02 AM

obstacles coming in the way of nari shakti vandan bill will have to be removed

अब जबकि 34 वर्षों से लटकते आ रहे महिला आरक्षण अर्थात ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जा चुका है, तय बात है कि एक ओर जहां इसका श्रेय सत्तापक्ष ले रहा है तो दूसरी ओर विपक्ष भी इसमें आगे है, परंतु इसे लागू करने को लेकर...

अब जबकि 34 वर्षों से लटकते आ रहे महिला आरक्षण अर्थात ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जा चुका है, तय बात है कि एक ओर जहां इसका श्रेय सत्तापक्ष ले रहा है तो दूसरी ओर विपक्ष भी इसमें आगे है, परंतु इसे लागू करने को लेकर अभी संशय व्याप्त है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 20 सितम्बर को कहा कि यह उनके पति राजीव गांधी का सपना था, जिन्होंने 1989 में पंचायती राज तथा नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए विधेयक पेश किया था, जो राज्यसभा में पास नहीं हो सका। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को दिया। उन्होंने 1993 में यह विधेयक पेश किया था जो दोनों सदनों में पास हो गया और पंचायती राज तथा नगर पालिकाओं के चुनावों में महिलाओं के आरक्षण के लिए कानून बन गया। निकाय चुनावों के बाद जब लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण की मांग उठी तो पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा की सरकार ने पहली बार 12 सितम्बर, 1996 को संशोधन विधेयक पेश किया। इसे संसद में खुलकर समर्थन मिला और कई सांसदों ने उसी दिन इस पर अपनी सहमति दे दी परन्तु पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की मांग उठा कर यह मामला लटका दिया गया।  बहरहाल, इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्रियों सर्वश्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, इंद्र कुमार गुजराल की सरकारों में महिला विधेयक को आगे बढ़ाने की कवायद भी की गई, जो नाकाम रही। 

अब जबकि संसद के दोनों सदनों में यह विधेयक पारित किया जा चुका है, विधानसभाओं के अनुमोदन तथा राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही यह कानून बन पाएगा और उसके बाद भी लागू होने से पूर्व इसे लंबा सफर तय करना पड़ेगा। सरकार का कहना है कि पहले जनगणना तथा सीटों के परिसीमन का काम होगा, जबकि जनगणना पर तो पहले ही 2026 तक रोक लगी हुई है। सरकार ने यह प्रक्रिया अगले वर्ष शुरू करने की बात कही है। उसके अनुसार राज्य विधानसभाओं में जनगणना और परिसीमन के बाद महिला आरक्षण विधेयक 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा। 

दूसरी ओर कांग्रेस तथा अन्य विरोधी दल इसे तुरंत लागू करने की मांग कर रहे हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा पर महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने में परिसीमन जैसी बाधाएं डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह विधेयक महिलाओं से किया गया धोखा है। सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि केंद्र्र सरकार ने इसमें  दो बाधाएं जनगणना और परिसीमन की डाली हैं, जिन्हें दूर करने में 15 वर्ष लगेंगे। यह आरक्षण 2024 में तो क्या 2029 और 2034 में भी लागू नहीं होगा और तब तक, इस विधेयक का उद्देश्य एवं मियाद ही समाप्त हो जाएगी। 

इसी प्रकार राज्यसभा सांसद व पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने 24 सितम्बर को कहा कि महिला आरक्षण का लाभ केवल 2034 से ही मिलना संभव है। उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित विधेयक राज्य विधानसभाओं तथा आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लाया गया है। कुल मिलाकर संसद के दोनों सदनों में पारित किए जाने के बावजूद महिला आरक्षण अर्थात ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को वास्तविक अर्थों में लागू किए जाने के मार्ग में फिलहाल अनेक बाधाएं दिखाई दे रही हैं जिन्हें सरकार को शीघ्र दूर करना होगा।—विजय कुमार

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