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‘जनसंख्या विस्फोट’ भारत के लिए एक चुनौती

Edited By ,Updated: 08 Jan, 2020 04:09 AM

population explosion  a challenge for india

क्या जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम उठाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से की गई घोषणा में उन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय सुझाने के संकेत दिए थे। यह आशा लगाई जा रही थी कि इस...

क्या जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम उठाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से की गई घोषणा में उन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय सुझाने के संकेत दिए थे। यह आशा लगाई जा रही थी कि इस संबंध में कोई विधेयक आगामी बजट सत्र में लाया जाएगा।

इस मुद्दे पर पहली बार बोलते हुए मोदी ने भारत में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या के प्रति अपनी ङ्क्षचता जाहिर की थी और कहा था कि इस पर पार पाने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों को कोई उपाय ढूंढने होंगे। अब समय आ गया है कि हमें इस चुनौती की ओर देखना चाहिए। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1 अरब 37 करोड़ है तथा यह 2027 में चीन की जनसंख्या को भी लांघ जाएगी। हमारे देश में लाखों ऐसे लोग भी हैं जिनकी स्वच्छ पेयजल, पर्याप्त भोजन, स्वास्थ्य तथा शिक्षा तक पहुंच नहीं है। यह सब जनसंख्या के बढ़ रहे आंकड़ों के कारण हो रहा है जो असहनीय है। जितने ज्यादा लोग होंगे उतना ही उनको खाने के लिए और स्रोत चाहिएं। 

हालांकि देश में सी.ए.ए.-एन.आर.सी. के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसी शंका जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री एक और नया मोर्चा खोलेंगे। जैसा कि सी.ए.ए. तथा एन.आर.सी. को मुसलमानों पर निशाना साधने के लिए माना जाता है, उसी तरह यह भी मुसलमानों को निशाना बनाने का प्रयास हो सकता है। कुछ भी हो, ज (जनसंख्या) शब्द बेहद गंभीर विषय है तथा कोई भी नेता इसको छूना नहीं चाहता। आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी एक चुनावी विषय बन गया था तथा इंदिरा गांधी ने इसी मुद्दे के चलते चुनाव हारा था। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने परिवार नियोजन विभाग का नाम बदल कर परिवार कल्याण विभाग रख दिया है। चीन जोकि अपने कठोर परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए जाना जाता था, ने पहले से अपनाई गई एक बच्चे की पॉलिसी को बदलना चाहा। 

परिवार नियोजन कार्यक्रम को भारत को क्यों आगे लाना चाहिए
2018-19 का आर्थिक सर्वे कहता है कि अगले दो दशकों के दौरान भारत की जनसंख्या वृद्धि में तेजी से गिरावट आएगी। 0 से लेकर 19 आयु वर्ग की जनसंख्या पहले से ही देश भर में कुल प्रजनन क्षमता दर में गिरावट के चलते चोटी पर पहुंच गई है। 9 राज्य पहले से ही 2.1 अथवा इससे नीचे की प्रतिस्थापन दर पर पहुंच चुके हैं। 2021 तक पूरा भारत 2.1 की कुल प्रजनन क्षमता दर पा लेगा। प्रमुख राज्य जिनमें घनी आबादी वाले हरियाणा तथा बिहार भी शामिल हैं, ने जनसंख्या वृद्धि में महत्वपूर्ण धीमी गति का अनुभव किया है। उच्च प्रजनन क्षमता दर 72 जिलों में बनी हुई है जोकि देश के 621 जिलों के 11 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर है। हालांकि भारत की जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है मगर उसकी गति  में कमी आ रही है। 

दक्षिण भारतीय राज्य इस विषय को लेकर बेहद ङ्क्षचतित हैं। उन्होंने नकारात्मक वृद्धि देखी है। इसी के चलते 5 दक्षिणी राज्यों ने एक गुप्त सभा का आयोजन किया जिसमें उन्होंने अपनी इस मुश्किल को पेश किया क्योंकि जनसंख्या के आधार पर वित्त आयोग स्रोतों का आबंटन करता है। इसलिए उन राज्यों को विशेष प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए जिन्होंने नकारात्मक वृद्धि लक्ष्य को पाया है। उत्तर तथा पूर्वी राज्यों से लोगों के प्रवास ने दक्षिण तथा पश्चिम में वृद्धि को कायम रखने में सहायता की है जहां पर प्रजनन क्षमता दर कम है। हालांकि राज्यसभा नामांकित सदस्य राकेश सिन्हा ने एक प्राइवेट सदस्य के ‘पॉपुलेशन रैगुलेशन बिल 2019’ नामक विधेयक को सदन में रखा है। बजट सत्र के दौरान सिन्हा को उम्मीद है कि इस विधेयक पर चर्चा की जाएगी। यह विधेयक वित्तीय लाभों तथा फूड सबसिडी तथा अन्य चीजों पर विराम लगाने की सिफारिश करता है। यह विधेयक उन लोगों को भी प्रोत्साहन राशि देने की सिफारिश करता है जो 2 बच्चों के बाद नसबंदी करवाएंगे। इस विधेयक का वाॢषक खर्चा लगभग 10 करोड़ रुपए का है। 

पिछले वर्ष 125 सांसदों ने राष्ट्रपति के आगे 2 बच्चों के नियम को लागू करने की याचिका रखी थी। यदि विधेयक को समर्थन मिला तब सरकार इसे कुछ संशोधनों के बाद अपना सकती है। हिन्दू वोटों को ध्यान में रख कर भाजपा इसका समर्थन करेगी, वहीं धर्मनिरपेक्ष पार्टियां अपने वोट बैंक की राजनीति के चलते इस विधेयक से अलग होना पसंद करेंगी क्योंकि उनका मानना है कि इस विधेयक के जरिए मुसलमानों को निशाना बनाया जाएगा। लोकसभा में भाजपा के पास बहुमत होने के नाते इस उपाय को आगे बढ़ाया जा सकता है। 

जनसंख्या विस्फोट पर अंकुश लगाना सबके लिए अनिवार्य है तथा प्रत्येक नागरिक की इसमें हिस्सेदारी बनती है। महिलाओं को केवल गर्भ निरोधक गोलियां उपलब्ध करवाना ही काफी नहीं, इसके साथ-साथ उन्हें जागरूक करने, खाने को उपलब्ध कराना, रोजगार देना तथा उनके स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाना होगा। ज्यादा जनसंख्या भारत के लिए जटिल परेशानी है तथा इसे वह लम्बे समय से झेल रहा है। राजनीतिक विवशता तथा वोट बैंक की राजनीति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मुद्दे को उठाने के लिए रोके रखा है। यह अच्छा संकेत है कि मोदी इस कहानी को बदलने के लिए तैयार हैं। उन्हें न केवल अन्य राजनीतिक दलों से बल्कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी समर्थन हासिल करना चाहिए। यदि भारत सुपर पावर बनना चाहता है तब जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाना अनिवार्य हो जाता है।-कल्याणी शंकर

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