Edited By ,Updated: 05 Aug, 2023 05:06 AM
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक चुनाव सभा में राहुल गांधी ने कहा था, ‘‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके विरुद्ध मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप...
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक चुनाव सभा में राहुल गांधी ने कहा था, ‘‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके विरुद्ध मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। उक्त टिप्पणी के मामले में इसी वर्ष 23 मार्च को सूरत की सी.जे.एम. कोर्ट ने धारा 504 के अंतर्गत राहुल गांधी को 2 वर्ष की सजा सुनाई थी जिस पर अमल के लिए राहुल गांधी को 30 दिन की मोहलत दी गई थी।
अगर किसी सांसद या विधायक को 2 वर्ष या इससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता चली जाती है तथा इसी के अनुसार संसद के सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता रद्द किए जाने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद राहुल गांधी ने अपनी सजा को चुनौती देते हुए सूरत सत्र न्यायालय में अपील दायर की जिसके साथ 2 याचिकाएं लगाई गईं। पहली सजा के निलंबन के लिए जो अनिवार्य रूप से नियमित जमानत के लिए थी जबकि दूसरी याचिका दोषसिद्धि के निलंबन के लिए थी। न्यायाधीश आर.पी. मोगेरा की अदालत ने 13 अप्रैल को सुनवाई के दौरान दोषसिद्धि के विरुद्ध राहुल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
राहुल गांधी ने 22 अप्रैल को अपना आधिकारिक बंगला भी खाली कर दिया। 3 मई को दूसरे आवेदन अर्थात दोषसिद्धि के निलंबन की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई की और न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने उन्हें अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। 7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। इसी संबंध में राहुल गांधी द्वारा सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की गई जिस पर सुनवाई करते हुए 4 अगस्त को अदालत ने 2019 में उनके विरुद्ध दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी है। राहुल गांधी के वकील ने कहा कि याचिकाकत्र्ता का पूरा नाम ‘पूर्णेश भूताला’ है तो यह केस कैसे बन सकता है? दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद न्यायमूर्ति संजय कुमार तथा न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा :
‘‘निचली अदालत के न्यायाधीश ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते समय कोई कारण नहीं बताया। अत: अब लोकसभा अध्यक्ष उनकी सदस्यता बहाल कर सकते हैं या राहुल गांधी शीर्ष अदालत के आदेश की पृष्ठभूमि में एक सांसद के रूप में अपनी सदस्यता बहाल करने की अपील कर सकते हैं।’’ उल्लेखनीय है कि 17वीं लोकसभा का कार्यकाल मई, 2024 में समाप्त हो रहा है तथा सुप्रीमकोर्ट का फैसला ऐसे समय पर आया है जब अगले लोकसभा चुनाव में मुश्किल से 8-9 महीने बचे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीमकोर्ट से राहुल गांधी को मिली यह बड़ी राहत कांग्रेस का हौसला बढ़ाने वाली है तथा सुप्रीमकोर्ट से राहत मिलते ही राहुल गांधी की राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं।
राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने और 2024 में उनके चुनाव लडऩे का रास्ता साफ होने से सत्ताधारी एन.डी.ए. विशेषकर भाजपा की चुनौती बढऩा तय है। संसद में अब राहुल गांधी पहले से भी कड़े तेवरों के साथ वापसी करेंगे। विशेष रूप से भारत जोड़ो यात्रा के बाद उनकी एक परिपक्व और जुझारू नेता की छवि उभरी है। राहुल के विरुद्ध सजा पर रोक लगाए जाने के बाद कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर है जिस पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि इस फैसले ने एक बार फिर आम लोगों का सुप्रीमकोर्ट में लोकतंत्र, संवैधानिकता और सत्य की जीत में विश्वास बहाल कर दिया है जबकि जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा को इस मुद्दे पर माफी मांगनी चाहिए। इस फैसले की चर्चा देश-विदेश में है। अब राहुल गांधी संसद में दाखिल होकर इसकी कार्रवाई में भाग लेंगे। राहुल को मिली इस राहत से विपक्षी एकता को बल मिलेगा, जिससे 2024 के चुनाव में विरोधी दल अधिक ताकत के साथ हिस्सा ले सकेंगे।—विजय कुमार