कब खत्म होगा फायर सेफ्टी को लेकर उदासीनतापूर्ण रवैया

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2019 02:59 AM

when will i end up feeling down on fire safety

12 फरवरी को तड़के दिल्ली के करोल बाग स्थित होटल अॢपत में लगी भीषण आग में 17 लोगों की मौत के बाद 23 फरवरी को बेंगलूर के येलहंका एयर बेस पर आयोजित हो रहे ‘एयरो इंडिया शो’ के दौरान पार्किंग में खड़ी लगभग 300 कारें जल कर खाक हो गईं। इन दुर्घटनाओंं ने एक...

12 फरवरी को तड़के दिल्ली के करोल बाग स्थित होटल अर्पित में लगी भीषण आग में 17 लोगों की मौत के बाद 23 फरवरी को बेंगलूर के येलहंका एयर बेस पर आयोजित हो रहे ‘एयरो इंडिया शो’ के दौरान पार्किंग में खड़ी लगभग 300 कारें जल कर खाक हो गईं। 

इन दुर्घटनाओंं ने एक बार फिर देश में फायर सेफ्टी को लेकर प्रशासन का उदासीनतापूर्ण रवैया उजागर कर दिया है। देश के अनेक होटलों की ही तरह दिल्ली के होटल अर्पित में भी आग लगने पर उसे बुझाने तथा बचने के लिए सुरक्षा के इंतजाम नदारद थे। वहां गैस्ट हाऊस और होटल से बाहर निकलने के लिए अलग रास्ता उपलब्ध होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं था। इतना ही नहीं, सभी खिड़कियां विंडो ए.सी. की वजह से पैक थीं या जाम हो चुकी थीं जिसके चलते धुएं से दम घुटने से कई लोगों की जान गई। आग शॉर्ट सर्किट से लगी जिससे सुरक्षा के लिए वहां ध्यान नहीं दिया गया था। 

वहीं 20 से 24 फरवरी तक बेंगलूर के येलहंका एयर बेस पर आयोजित हो रहे ‘एयरो इंडिया 2019’ में 23 फरवरी को अचानक चारों ओर काला धुआं छा जाने के बाद पता चला कि पार्किंग में खड़ी कारों को आग लग गई है। पार्किंग स्थल के निकट सूखी घास में आग लग गई जो तेज हवा से पार्किंग एरिया नम्बर 5 में खड़ी कारों तक फैल गई। आग बुझाने के लिए दमकल विभाग की गाडिय़ां जब तक मौके पर पहुंचतीं वहां खड़ी लगभग 300 कारें जल चुकी थीं। सौभाग्यवश इस दुर्घटना में किसी का जानी नुक्सान नहीं हुआ परंतु यही सवाल उठता है कि इतने महत्वपूर्ण आयोजन पर आग लगने जैसी आम घटना से जूझने के लिए पुख्ता बंदोबस्त क्यों नहीं किए गए थे? 

यहां घोर लापरवाही का भी अंदेशा है क्योंकि माना जा रहा है कि आग लगने की वजह किसी व्यक्ति द्वारा जली हुई सिगरेट फैंकना हो सकता है जिससे घास ने तुरंत आग पकड़ ली होगी जो पार्किंग तक फैल गई। हाल ही में जारी किए गए ‘इंडिया रिस्क सर्वे’ के अनुसार देश में बिजनैस के लिए आग तीसरा सबसे बड़ा खतरा है। साल 2016 के इसी सर्वे में यह खतरा आठवें स्थान पर था। सर्वे के अनुसार सुरक्षा मापदंडों को नजरअंदाज करना तथा अग्निशमन विभाग में कर्मियों तथा जरूरी उपकरणों की कमियां इसके लिए जिम्मेदार हैं। सरकार तथा अन्य निकायों ने फायर सेफ्टी के संबंध में अनेक नियम बना रखे हैं परंतु इस बात की निगरानी के लिए अभी भी कोई सिस्टम हमारे पास नहीं है कि उन नियमों का अनुपालन हो भी रहा या नहीं। यही कारण है कि अधिकतर सार्वजनिक स्थलों पर फायर सेफ्टी को लेकर घोर लापरवाही का मंजर नजर आता है। 

कितनी ही इमारतों के लिए ‘फायर नो ऑब्जैक्शन सर्टीफिकेट’ नहीं लिया जाता है और यदि लिया भी जाता है तो वे किसी और क्षेत्र का भी हो सकता है या वह किसी भी तरह से फायर सेफ्टी मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। 2017 में गृह मंत्रालय की ओर से संसद में दिए गए जवाब के ही अनुसार साल 2012 में देश में 8559 फायर स्टेशनों की जरूरत थी जबकि उनकी संख्या केवल 2987 यानी जरूरत से 65 प्रतिशत कम थी। इस जवाब के ही अनुसार देश को 5,59,681 ट्रेन्ड फायर फाइटर्स, 2,21,411 फायर फाइटिंग उपकरणों तथा 9,337 अग्निशमन वाहनों की जरूरत थी। 

लगता नहीं है कि आज भी इस स्थिति में कोई बड़ा बदलाव हुआ है। आग की घटनाओं से निपटने की अक्षमता की वजह से साल 2015 में देश में लगभग 17,700 लोगों की जान गई। इसका अर्थ यह है कि प्रतिदिन औसतन 48 ऐसी मौतें जिन्हें रोका जा सकता था। दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूर, कानपुर, इलाहाबाद जैसे देश के बड़े शहरों में यह समस्या अधिक विकराल है। दिल्ली की बात करें तो वहां 250 से अधिक होटलों तथा नॄसग होम्स में फायर सेफ्टी इंतजाम नहीं हैं। 

दिल्ली फायर सॢवस के तहत देश की राजधानी में कुल 61 फायर स्टेशन हैं परंतु सबसे ङ्क्षचताजनक बात यह है कि इनमें आधे से अधिक यानी 51 प्रतिशत फायरमैन के पद रिक्त हैं। स्पष्ट है कि देश में आग लगने की घटनाओं में मासूम जानों को गंवाने से बचाने के लिए फायर सेफ्टी रूल्स को मजबूत करने, इन्हें सख्ती से लागू करवाने से लेकर अग्निशमन विभाग में फायरमैन तथा उपकरणों की कमी को पूरा करने पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!