Mumbai Blast Case में नया मोड़: हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश केंद्र सरकार ने बरी हुए 11 आरोपियों के खिलाफ खटखटाया SC का दरवाजा

Edited By Updated: 22 Jul, 2025 11:23 AM

central government challenged the acquittal of 11 accused

साल 2006 के मुंबई सीरियल लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में बरी हुए सभी 11 आरोपियों को लेकर एक गंभीर नया मोड़ सामने आया है। मुंबई हाई कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने के फैसले से नाखुश केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।...

नेशनल डेस्क। साल 2006 के मुंबई सीरियल लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में बरी हुए सभी 11 आरोपियों को लेकर एक गंभीर नया मोड़ सामने आया है। मुंबई हाई कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने के फैसले से नाखुश केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस कदम से 19 साल पुराने इस भीषण आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए न्याय की उम्मीदें एक बार फिर जीवित हो गई हैं और कानूनी लड़ाई अब देश की सबसे बड़ी अदालत में लड़ी जाएगी।

हाई कोर्ट के फैसले ने दिया था बड़ा झटका

पिछले दिनों ही मुंबई हाई कोर्ट ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले के सभी 11 जीवित आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले ने महाराष्ट्र सरकार और जांच एजेंसियों को एक बड़ा झटका दिया था। गौरतलब है कि 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सात सिलसिलेवार बम धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। महाराष्ट्र ATS ने इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया था।

साल 2015 में लंबी सुनवाई के बाद निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था जिनमें से 5 को फांसी की सज़ा और 7 को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी। बचे हुए 11 दोषियों ने इस सज़ा के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर हाल ही में फैसला आया और उन्हें बरी कर दिया गया।

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केंद्र सरकार की न्याय की लड़ाई

केंद्र सरकार का यह कदम दर्शाता है कि वह इस मामले को कितना गंभीर मानती है। सरकार का मानना है कि हाई कोर्ट का फैसला सबूतों और निचली अदालत के निष्कर्षों की सही व्याख्या नहीं करता है और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना आवश्यक है। यह अपील अब इस मामले को सर्वोच्च न्यायिक मंच पर ले जाएगी जहां एक बार फिर सभी पहलुओं और सबूतों की गहन समीक्षा की जाएगी।

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस अपील पर क्या रुख अपनाता है और इतने वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ित परिवारों को क्या राहत मिलती है। यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

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